शहर में बीते जुलाई महीने से अब तक 12 घोड़ियों की मौत हो चुकी है। इनमें 2 घोड़ियों की हाल ही में 24 घंटे के अंदर जान गई है। इनके मालिकों का कहना है कि हम अपनी आर्थिक तंगी के कारण चारे का बंदोबस्त नहीं कर पा रहे हैं। भूख से इन जानवरों की मौत हो रही है। लॉकडाउन के बाद से ही शादी समारोह पर कई तरह के नियमों की बंदिश है।
घोड़ी-बग्गी के व्यवसाय से जुड़े लोगों का काम बंद पड़ा है। इस वजह से यह हालात बने हैं। कोई अब फूड डिलीवरी बॉय बन गया तो किसी ने सब्जी और तालाब से पकड़कर मछलियां बेचनी शुरू कर दी हैं।
हमारे भूखे मरने की नौबत
रायपुर के घोड़ी-बग्गी व्यवसाय से जुड़े मो. मजहर ने बताया कि हर महीने या हफ्ते में घोड़ियों की मौत हो रही हैं। जानवर भूखे हैं। हमारी भी भूखे मरने की नौबत आ गई है। हम किसी तरह से कर्ज लेकर गुजारा कर रहे हैं। जो सेविंग्स थीं, सब खत्म हो गई।
शहर में 13 मुझ जैसे व्यवसायी हैं, सभी की यही स्थिति है। घोड़ियों को खिलाने के लिए चारे तक के पैसे नहीं हैं। दिन में 4 बार चारा दिया करते थे, अब 2 बार दे रहे हैं। जानवर कमजोर हो रहे हैं, और हमारी माली हालत भी।
2 घोड़ियां थी मर गई मजबूरन सफाईकर्मी बनना पड़ा
चंदन नायक नाम के घोड़ी व्यवसायी की दो घोड़ियां मर गईं, जिनमें एक की मौत रविवार-सोमवार की दरम्यानी रात को हुई। अब मजबूरन इन्हें नगर निगम के सफाई विभाग में दैनिक वेतन भोगी के तौर सफाई का काम करने जाना पड़ रहा है। मोहम्मद मजहर की 2, बिलाल की 2, राजराम की 2, सरदार की 1, खिलावन की 1, गोलू की 1, रौशन की 1 घोड़ी मर चुकी है।
इनमें अब राजाराम घर के खर्च और बाकि बची घोड़ियों के चारे के लिए सब्जी बेच रहे हैं, सरदार जोमैटो से जुड़कर फूड डिलिवरी का काम कर रहे , मजहर मछली बेच रहे हैं, बिलाल मटन की दुकान में काम कर रहे हैं।
कोविड जागरुकता में हो घोड़ी-बग्गी का इस्तेमाल
मजहर ने कहा कि हाल ही में कलेक्टर, महापौर, पशुपालन विभाग के लोगों को अपनी समस्या सभी व्यवसाइयों ने बताई है। मगर कोई मदद नहीं मिली, पिछले दिनों वन मंत्री ने सभी घोड़ी व्यवसाइयों को 10-10 हजार रुपए की मदद दी थी।
हमारी परेशानी दूर करने के लिए या तो सरकार हमें काम करने की अनुमति दे या कोरोना जागरुकता के लिए बग्गी और पोस्टर लगी घोड़ियों का इस्तेमाल करे, जो हर मुहल्ले में जाकर प्रचार का काम करते हुए रोजगार के मौके भी मुहैया कराएगा।
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