देश की आजादी के आंदोलनों में छत्तीसगढ़ की महिलाओं ने भी बड़ा योगदान दिया था। सोनाखान से लेकर रायपुर, धमतरी, दुर्ग सहित अलग-अलग स्थानों पर इन महिलाओं ने आजादी की लड़ाई में योगदान दिया। असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन में महिलाओं की भूमिका पुरुषों के साथ बराबरी की रही। भारत छोड़ा आंदोलन में डा. खूबचंद बघेल की पत्नी रामकुंवर की गिरफ्तारी के बाद प्रदेश में महिलाओं ने विरोध तेज कर दिया। मनोहर श्रीवास्तव की मां फुलकुंवर उनकी पत्नी पोचीबाई ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनमें महिलाओं ने स्वतंत्रता का बिगुल फूंका।
12 साल की उम्र में रोहिणी बाई को आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए चार महीने का कारावास हुआ था। मिनीमाती और करूणामाता का योगदान छत्तीसगढ़ के लोगों को आज भी याद है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में छत्तीसगढ़ की महिलाओं के योगदान पर डिग्री गर्ल्स कालेज की छात्रा अर्चना बौद्ध ने शोध किया है। अपने शोध में उन्होंने पुराने दस्तावेजों और प्राप्त संकलन के आधार पर प्रदेश में ऐसी 60 महिलाओं का जिक्र किया है, जिन्होंने इस संघर्ष में बड़ी भूमिका निभाई है।