आरबीआई की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
नई दिल्ली। देश के 64 बैंकों में तीन करोड़ खाता धारकों के खाते में 11 हजार 302 करोड़ की धनराशि पड़ी हुई है, जिसका कोई दावेदार ही नहीं है। इसका खुलासा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया(आरबीआई) की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा 1262 करोड़ की धनराशि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से जुड़ी है। वहीं पीएनबी में 1250 करोड़ है। जबकि अन्य राष्ट्रीयकृत बैंकों के पास 7040 करोड़ बचा है। यह सब धनराशि भारतीय बैंकों में कुल जमा सौ लाख करोड़ का ही अंश है। आईआईएम में आरबीआई के पूर्व चेयर प्रोफेसर बी चरण सिंह कहते हैं कि जन जमा राशियों में सबसे ज्यादा मृतकों और कई खाता धारकों के अंश शामिल हैं।
बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 के सेक्शन 29 के तहत सभी बैंकों को हर वित्तीय वर्ष की समाप्ति के 30 दिन के भीतर आरबीआई को रिपोर्ट देनी होती है, जिसमें दस साल से संचालित न होने वाले खातों के बारे में सूचना देनी होती है। मगर सेक्शन 26 ए यह भी कहता है कि दस या अधिक साल से खाते का संचालन न होने पर भी खाता संचालन से किसी को न तो रोका जा सकता है और न ही धनराशि का भुगतान करने से इंकार किया जा सकता। बैंकिंग कानून ( संशोधन) अधिनियम 2012 के तहत शिक्षा और जागरूकता मद में ये धनराशि पड़ी हुई है। निजी क्षेत्र की बात करें तो एक्सिस, डीसीबी, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, कोटक महिंद्रा और यस बैंक में कुल 824 करोड़ की लावारिस धनराशि पड़ी हुई है।
12 अन्य प्राइवेट बैंकों में 592 करोड़ पड़े हैं। इस प्रकार देखें तो कुल प्राइवेट बैंकों में 1416 करोड़ की धनराशि का कोई दावेदार नहीं है। प्राइवेट बैंकों में सबसे ज्यादा 476 करोड़ आईसीआईसीआई बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक में 151 करोड़ की धनराशि डंप है। 25 विदेशी बैंकों में भी 332 करोड़ रुपये की धनराशि है, जिसका कोई दावेदार नहीं है।
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