ईडी के खिलाफ याचिका, सुनवाई 29 मई को... आबकारी सचिव गए सुप्रीम कोर्ट कहा: यह कार्रवाई राजनीतिक... » द खबरीलाल                  
छत्तीसगढ़ स्लाइडर

ईडी के खिलाफ याचिका, सुनवाई 29 मई को… आबकारी सचिव गए सुप्रीम कोर्ट कहा: यह कार्रवाई राजनीतिक…

छत्तीसगढ़ में कथित 2 हजार करोड़ रुपए की शराब गड़बड़ी के मामले में ईडी की कार्रवाई को प्रदेश के आबकारी सचिव निरंजन दास ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सचिव की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि ईडी की कार्रवाई गलत और पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए ईडी को नोटिस जारी किया है। कोर्ट में 29 मई को उनकी याचिका पर सुनवाई होगी। ईडी की कार्रवाई के खिलाफ आधा दर्जन लोग पहले ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगा चुके हैं। उनकी याचिका पर 29 मई को ही सुनवाई होनी है। अब आबकारी सचिव दास की याचिका पर भी सुनवाई की वही तारीख दी गई है।

अन्य याचिकाकर्ताओं की तरह आबकारी सचिव दास ने भी याचिका में ईडी की कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताया और ईडी के पीएमएलए के प्रावधानों को भी चुनौती दी है। जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस पीएल नरसिम्हा की पीठ ने याचिका मंजूर की। इसके साथ ही ईडी को 3 दिन के भीतर जवाब प्रस्तुत करने को कहा है। यही पीठ कारोबारी अरविंद सिंह व अन्य की याचिका पर सुनवाई करने वाली है। गौरतलब है कि कोर्ट 29 मई को ही कारोबारी अनवर ढेबर की जमानत याचिका पर भी सुनवाई की जाएगी।

180 करोड़ की संपत्ति अटैच
पिछले सोमवार को इसी मामले में ईडी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए संपत्तियां जब्त की। आधिकारिक जानकारी में कहा गया कि, अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी और अनिल टुटेजा से 121.87 करोड़ की 119 अचल संपत्ति अटैच की गई है। अब तक कुल 180 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच हुई है।

त्रिलोक ढिल्लन को जेल
शराब गड़बड़ी में गिरफ्तार कारोबारी त्रिलोक ढिल्लन को कोर्ट ने गुरुवार को जेल भेज दिया। न्यायधीश अजय सिंह की विशेष अदालत में करीब 1 घंटे की सुनवाई के बाद ढिल्लन को 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर भेजा गया है। ईडी के पास अब आबकारी अधिकारी त्रिपाठी ही हैं।

रिमांड में लेकर उनसे पूछताछ की जा रही है। उनकी रिमांड अवधि शुक्रवार को खत्म होगी। ईडी की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता सौरभ पांडेय ने बताया कि त्रिलोक सिंह ढिल्लन को 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर भेजा गया है। ढिल्लन ने करोड़ों के लोन लिए यह सभी लोन अनसिक्योर्ड लोन थे। यानी किसी बैंक से यह पैसा उनके खातों में नहीं आया किसी दोस्त और परिचितों ने भेजे।