राजधानी रायपुर के टाटीबंध में 120 करोड़ से अधिक की लागत से ओवरब्रिज बनाया जा रहा है, लेकिन उसकी सर्विस रोड बदतर स्थिति में है, क्योंकि वह कच्ची है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) की लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चौक से रोजाना डेढ़ लाख से अधिक वाहन गुजरने के बाद भी उसने यहां पक्की सर्विस रोड बनाना उचित नहीं समझा। सर्विस रोड कच्ची होने के कारण बारिश में खतरनाक गड्ढे हो गए हैं, जिनसे हादसे हो रहे हैं। सर्विस रोड का या तो डामरीकरण होना चाहिए या सीमेंटकरण। इस पर एनएचएआइ के अधिकारियों का कहना है कि सर्विस रोड पर पानी भरने की वजह से डामरीकरण नहीं किया जा सका है, इसके सीमेंटीकरण का प्रस्ताव है। सीमेंट रोड को पकाने के लिए 20 से 25 दिन का ब्लाक लेना पड़ेगा। इसे लेकर स्थानीय प्रशासन से बात चल रही है।
पहले बनानी होती है सर्विस रोड
एनएचएआइ ने दो वर्ष पहले टाटीबंध चौराहे का निर्माण शुरू किया था। नियमों के मुताबिक निर्माण कार्य शुरू होने के पहले सर्विस रोड बनानी होती है, ताकि वाहनों के आने-जाने के लिए वैकल्पिक रास्ता मिले सके। प्राधिकरण तीसरे वर्ष भी सर्विस रोड बनाने की स्थिति में नहीं है। इसकी वजह से रोजाना हजारों वाहन चालकों को परेशान होना पड़ रहा है।
अव्यवस्था नहीं हो रही खत्म
टाटीबंध चौक पर अव्यवस्था खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। चौक पर यातायात पुलिस के जवानों के साथ एनएचएआइ के कर्मचारियों की भी ड्यूटी लगाई गई है। ओवरब्रिज के निर्माण की वजह से यहां ट्रैफिक सिग्नल का पालन नहीं हो पा रहा है। सर्विस रोड ही वाहनों के आने-जाने का एकमात्र विकल्प है, लिहाजा रोजाना जाम लगना अब आम हो चुका है।
कुछ गड्ढे भरे गए, परेशानी अभी भी
खबर प्रकाशित होने के बाद जिला प्रशासन की फटकार पर प्राधिकरण ने गड्ढों में बजरी डाली है, जो नाकाफी है। वाहनों के जाम के चलते फिर से गड्ढे हो रहे हैं। चौक के सिर्फ एक तरफ की सर्विस रोड के गड्ढे भरे गए हैं, जबकि दूसरी तरफ भी बारिश से तबाह हो गई है।
टाटीबंध चौक पर लोगों को परेशानी हो रही है। इस संबंध में मैं एनएचएआइ के अधिकारियों से बात करता हूं। कोरोना की वजह से प्रोजेक्ट में लेटलतीफी हुई। यह प्रोजेक्ट दिसंबर-2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। पक्की सर्विस रोड को लेकर अधिकारियों को निर्देशित करता हूं।
Add Comment