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अब भेड़, बकरी और सूकरों का भी होगा बीमा

रायपुर। प्राकृतिक आपदाओं और दुर्घटनाओं में पशुधन की आकस्मिक मृत्यु होने पर पशुपालकों को क्षतिपूर्ति दिलाने के लिए संचालित पशुधन बीमा योजना का विस्तार किया गया है। पहले यह योजना केवल दुधारू पशुओं के लिए थी। पिछले साल से योजना का विस्तार करते हुए दुधारू पशुओं के साथ-साथ भारवाहक पशुओं, भेड़-बकरियों और सूकरों को भी बीमा के दायरे में लाया गया है। यह योजना छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में चल रही है।
पशुधन विकास मंत्री बृृजमोहन अग्रवाल के मुताबिक प्राकृतिक आपदाओं और दुर्घटनाओं में हर साल पशुओं की आकस्मिक मृत्यु हो जाती है। इससे पशुपालकों को आर्थिक नुकसान होता है। पशुधन बीमा योजना ऐसे पशुपालकों के लिए बहुत बड़ी मददगार साबित हो रही है। श्री अग्रवाल ने बताया कि योजना के तहत ही भेड़-बकरियों और सूकरों को दस-दस की संख्या में इकाई मानकर बीमा किया जाता है। दुधारू और भारवाहक पशुओं में एक पशु को एक इकाई मानकर बीमा दायरे में लाया जाता है। बीमा की प्रीमियम राशि के लिए भी प्रदेश सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है। सामान्य क्षेत्रों में गरीबी रेखा से ऊपर के पशुपालकों को बीमा प्रीमियम की 50 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में दी जाती है। इन क्षेत्रों में गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले पशुपालक परिवारों तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के पशुपालकों को प्रीमियम की 70 प्रतिशत राशि बतौर अनुदान उपलब्ध कराई जाती है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में गरीबी रेखा से ऊपर के हितग्राहियों को बीमा प्रीमियम की 60 प्रतिशत तथा गरीबी रेखा से नीचे एवं अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के हितग्राहियों को बीमा प्रीमियम की 80 प्रतिशत राशि का अनुदान देने का प्रावधान योजना में किया गया है।


श्री अग्रवाल ने बताया कि पशुओं का बीमा करते समय पशुपालकों तथा पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों और बीमा कम्पनियों के प्रतिनिधियों के समन्वय से पशु मूल्य का निर्धारण किया जाता है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य पशुधन विकास अभिकरण के माध्यम से पशुधन बीमा योजना संचालित की जा रही है। श्री अग्रवाल ने बताया कि पशुपालक किसान अपने नजदीक के पशु चिकित्सा विभाग के कार्यालयों में संपर्क कर इस योजना का लाभ ले सकते हैं। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए लगभग 92 हजार पशुओं के बीमा की राशि केन्द्र सरकार से मिली है।

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