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छत्तीसगढ़ः 2022 में 300 हमले में हुई थीं 10 शहादतें, इस साल 4 माह में ही 17 जवान खो चुके हैं हम…

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में बड़ा नक्सली हमला हुआ है. नक्सलियों ने डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड फोर्स को लेकर जा रहे वाहन पर IED हमला किया है. इस हमले में 11 जवान शहीद हो गए हैं. शहीद जवानों में 10 डीआरजी के जवान और एक ड्राइवर शामिल है.

ये हमला दंतेवाड़ा के अरनपुर में उस समय हुआ जब डीआरजी के जवान एक एंटी-नक्सल ऑपरेशन से लौट रहे थे.

इस हमले के बाद छत्तीसगढ़ से लेकर दिल्ली तक अलर्ट पर है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बात की है. अमित शाह ने ट्वीट कर इस कायराना हमले की निंदा की. साथ ही उन्होंने छत्तीसगढ़ के सीएम को हरसंभव मदद देने का भरोसा भी दिया.

बहरहाल, छत्तीसगढ़ दूसरा सबसे नक्सली प्रभावित राज्य है. गृह मंत्रालय के मुताबिक, छत्तीसगढ़ के 14 जिले- बलरामपुर, बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, धमतरी, गरियाबंद, कांकेर, कोंडागांव, महासमुंद, नारायणपुर, राजनंदगांव, सुकमा, कबीरधाम और मुंगेली नक्सल प्रभावित हैं.

आंकड़े बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में नक्सली हमलों में कमी आने का नाम नहीं ले रही है. देखा जाए तो हर साल औसतन साढ़े तीन सौ से ज्यादा नक्सली हमले यहां होते हैं. इनमें हर साल औसतन 45 जवान शहीद हो जाते हैं.

एक ही हमले में इतनी शहादतें…
इस साल 21 मार्च को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में गृह मंत्रालय में छत्तीसगढ़ में नक्सली हमलों के आंकड़े पेश किए थे.

इन आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में राज्य में 305 नक्सली हमले हुए थे. इन हमलों में सुरक्षाबलों के 10 जवान शहीद हुए थे. जबकि, सुरक्षाबलों ने 31 नक्सलियों को मार गिराया था.

जबकि, दंतेवाड़ा में जो नक्सली हमला हुआ, उसी में 11 जवान शहीद हो गए हैं. इससे पहले सरकार ने संसद में बताया था कि इस साल फरवरी तक छत्तीसगढ़ में नक्सली हमलों में 7 जवान शहीद हो चुके थे. यानी इसी साल 18 जवानों को हम खो चुके हैं. लिहाजा, देखा जाए तो 2022 में सालभर में 300 हमलों में जितने जवान शहीद हुए थे, उससे करीब दोगुने जवान इस साल शहीद हो चुके हैं.

आंकड़ों के मुताबिक, 2013 से 2022 के बीच 10 साल में छत्तीसगढ़ में 3 हजार 447 नक्सली हमले हो चुके हैं. इन हमलों में 418 जवान शहीद हुए हैं, जबकि सुरक्षाबलों ने 663 नक्सलियों को मार गिराया है.

हालांकि, नक्सली हमलों का खामियाजा आम लोगों को भी भुगतना पड़ता है. हर साल औसतन नक्सली हमलों में 50 से ज्यादा आम नागरिकों की मौत हो जाती है. हालांकि, सरकार इन्हें नक्सली हमलों की बजाय वामपंथी उग्रवाद नाम देती है.