नई दिल्ली. कोरोनाकाल में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट घटाकर 4 फीसदी कर दिया था, जो दो दशक की सबसे कम ब्याज दर थी. इस दौरान सस्ते कर्ज को देखते हुए बड़ी संख्या में लोगों ने होम लोन लिया था. कई बैंक होम लोन पर 7 फीसदी या उससे भी कम का ब्याज ऑफर कर रहे थे.
लेकिन, मई से अब तक आरबीआई ने रेपो रेट में 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है और बाहरी बेंचमार्क से जुड़े ज्यादातर होम लोन की ब्याज दरों में भी इतनी ही वृद्धि हुई है. इसका मतलब हुआ कि 7 फीसदी ब्याज पर होम लोन पाने वाले ग्राहकों को अब 8.90 फीसदी ब्याज देना पड़ रहा है. ऐसे में ज्यादातर कर्जधारकों के सामने यह सवाल पैदा हो गया है कि वे ईएमआई का बोझ घटाने के लिए अपना टेन्योर बढ़ाएं या फिर बढ़ी हुई ईएमआई का भुगतान करें.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
बैंकिंग मामलों के जानकार अश्विनी राणा का कहना है कि ब्याज दरें बढ़ने पर ग्राहकों पर ज्यादा ईएमआई का बोझ आना तय है. अधिकतर मामलों में बैंक अपने ग्राहकों को टेन्योर बढ़ाने का विकल्प देते हैं, जिसका तत्काल असर तो नहीं दिखता लेकिन लोन चुकाने की पूरी अवधि बढ़ने से काफी ज्यादा बोझ बढ़ जाता है. ऐसे में अगर आप बढ़ी ईएमआई का बोझ सहने में सक्षम हैं तो बेहतर होगा कि अपने कर्ज का टेन्योर न बढ़ाएं.
क्या है नफा-नुकसान का गणित
अगर किसी ग्राहक ने 50 लाख का लोन 20 साल के लिए 7 फीसदी ब्याज दर पर लिया था तो अभी तक उसकी ईएमआई 38,765 रुपये आ रही थी. इसी दर पर पूरी अवधि में कुल ब्याज का भुगतान 43,03,587 रुपये करना पड़ता. लेकिन, ब्याज दर अब बढ़कर 8.90 फीसदी हो गई है तो ईएमआई भी बढ़कर 44,665 रुपये हो जाएगी. यानी हर महीने 5,900 रुपये का बोझ बढ़ जाएगा. वहीं, पूरे टेन्योर में ब्याज के रूप में कुल 57,19,656 रुपये चुकाने होंगे. इस तरह ब्याज के रूप में कुल 14,16,069 रुपये का बोझ बढ़ जाएगा.
अब अगर कोई ग्राहक अपनी ईएमआई के बोझ को कम करने के लिए टेन्योर बढ़ान का विकल्प चुनता है और इसे अधिकतम अवधि (30 साल) तक ले जाता है तो उसकी हर महीने ईएमआई 39,872 रुपये आएगी. यह पुरानी ईएमआई से महज 1,107 रुपये ज्यादा है. लेकिन, अगर आप पूरे टेन्योर को देखें तो ब्याज के रूप में चुकाई जाने वाली कुल राशि बढ़कर 93,53,880 रुपये हो जाएगी. इसका मतलब हुआ कि कर्ज की अवधि सिर्फ 10 साल बढ़ाए जाने से ही आपके ऊपर ब्याज का बोझ 50.50 लाख रुपये बढ़ जाएगा, जो पुराने ब्याज भुगतान के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा होगा.
बढ़ती ब्याज दर के बीच पैसे बचाने का जुगाड़
निवेश एक्सपर्ट बलवंत जैन का का कहना है कि अगर कोई कर्जधारक बढ़ती ब्याज दरों के बीच अपने लोन का प्री-पेमेंट करता है तो वह पूरे टेन्योर में बड़ी रकम बचा सकता है. उन्होंने इसका गणित बताते हुए कहा कि अगर हर साल प्रिंसिपल अमाउंट का 5 फीसदी प्री-पेमेंट किया जाए तो 20 साल का कर्ज महज 12 साल में पूरा किया जा सकता है. इस तरह ब्याज भुगतान के रूप में लाखों रुपये की बचत कर सकते हैं.
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