गणेश चतुर्थी के दिन से भगवान गणेश अपने भक्तों के घरों और पंडालों में विराजमान हैं. 10 दिनों तक गणेश जन्मोत्सव मनाने के बाद आज अनंत चतुर्दशी को गणपति बप्पा की विदाई करते हैं और विधि विधान से गणेश जी का विसर्जन (Ganesh Visarjan) करते हैं. गणेश जी को लोग डेढ़ दिन, तीन दिन, पांच दिन, सात दिन और नौ दिन के लिए स्थापित करते हैं और फिर शुभ मुहूर्त में विदा कर देते हैं. जो लोग नौ दिनों तक बप्पा को अपने घर रखते हैं, वे आज 10वें दिन चतुर्दशी को हर्षोल्लास के साथ विदा करते हैं, ताकि वे फिर अगले बरस आएं.
क्यों करते हैं गणेश विसर्जन
काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट बताते हैं कि गणेश जी ने लगातार 10 दिनों तक महाभारत की रचना की थी, जिससे उनका शरीर तपने लगा था, तब वेद व्यास जी उनको एक जल स्रोत के पास ले गए और वहां पर उनको जल में स्नान कराया. इससे गणेश जी को बहुत आराम मिला. उस दिन अनंत चतुर्दशी थी. तब से इस तिथि पर गणेश जी का विसर्जन होने लगा.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब हम देवी-देवताओं को मूर्ति के स्वरूप में प्राण प्रतिष्ठित करते हैं तो उनको उनके लोक से बुलाते हैं और जब पूजा का समापन हो जाता है तो उनको विसर्जित करते हैं, विदा कर देते हैं ताकि वे फिर से अपने लोक में जाकर स्थापित हों.
गणेश विसर्जन मुहूर्त 2022
इस साल गणेश विसर्जन 09 सितंबर दिन शुक्रवार को अनंत चतुर्दशी के दिन होगा.
सुबह में गणेश विसर्जन का शुभ समयः 06 बजकर 03 मिनट से 10 बजकर 44 मिनट तक
दोपहर में गणेश विसर्जन का शुभ समयः 12 बजकर 18 मिनट से दोपहर 01 बजकर 52 मिनट तक
शाम में गणपति विसर्जन का मुहूर्तः शाम 05 बजकर 06 मिनट से शाम 06 बजकर 31 मिनट तक.
गणेश विसर्जन की विधि
अनंत चतुर्दशी को प्रातः बप्पा की नियमित पूजा करें. उसके बाद शुभ मुहूर्त में उनकी विदाई करें. इसके लिए एक चौकी पर या फिर लकड़ी के पटरे को पवित्र करें. उस पर पीले रंग का या लाल रंग का कपड़ा बिछा दें और उस पर स्वस्तिक भी बना दें. अब आप गणेश जी को ढोल-नगाड़ों और जयकारों की गूंज के साथ पूजा स्थान से उठाकर चौकी या पटरे पर विराजमान करा दें.
अब बप्पा का फूल, फल, मोदक, चंदन, कुमकुम आदि से पूजन करें. फिर जयकारे के साथ नदी तट या तालाब के किनारे ले जाएं. वहां पर बप्पा की आरती करें और उनसे मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आशीष मांगे. फिर बप्पा से कहें कि जिस प्रकार से इस साल आकर आपने जीवन में खुशियां दी हैं, वैसे ही अगले साल भी आप हमारे घर पधारें. पूजा में हुई कमियों और गलतियों के लिए माफी मांगें. फिर उनको जल में विसर्जित कर दें.
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