आम यात्रियों की जेबें काटकर कमाई बढ़ाने के लिए रेलवे नई-नई तरकीबें अपना रहा है। इसके लिए फिलहाल दुर्ग-छपरा सारनाथ एक्सप्रेस को टारगेट किया गया है। इस ट्रेन से पांच स्लीपर कोच की कटौती होने जा रही है। इससे आम यात्रियों को मिलने वाले 400 बर्थ का कोटा स्वत: समाप्त हो जाएगा।
स्लीपर में बर्थ फुल होने के बाद यात्रियों को मजबूरी में अधिक किराया देकर थर्ड एसी की टिकट लेनी होगी। यात्रियों पर किराए का बोझ डालकर ज्यादा कमाई करने का यह रेलवे का नया फंडा है। रेलवे ने तैयारी पूरी कर ली है। इसे 27 नवंबर से लागू कर दिया जाएगा। ऐसा पहली बार हो रहा है, जब त्योहारी सीजन में दुर्ग-छपरा सारनाथ स्पेशल के स्लीपर कोच में कटौती हो रही है।
दोनों ही रूट की ट्रेनों में अभी 11 स्लीपर क्लास डिब्बे हैं। लेकिन अब सिर्फ 6 स्लीपर कोच रह जाएंगे। स्लीपर हटाकर 5 एसी डिब्बे जोड़े जाएंगे। नई व्यवस्था के तहत अब ट्रेन में छह थर्ड एसी, दो सेकेंड एसी और एक फ़र्स्ट सह सेकेंड एसी के कोच रहेंगे। अभी 3 जनरल, 11 स्लीपर, 2 थर्ड एसी, एक सेकेंड एसी और एक सेकेंड सह फर्स्ट एसी कोच के साथ ट्रेन चल रही है।
थर्ड एसी में 8 बर्थ कम
स्लीपर कोच हटाकर थर्ड व सेकेंड एसी के डिब्बे लगाने पर बर्थ की संख्या कम होगी। थर्ड एसी के एक कोच में 72, सेकेंड एसी में 54 और सलीपर में 80 बर्थ होते हैं। स्लीपर की तुलना में एसी डिब्बों में बर्थ की संख्या घट जाएगी। पांच स्लीपर हटने से सीधे तौर पर 40 सीट की कटौती हो जाएगी। इस नई व्यवस्था से यात्रियों की परेशानी बढ़ने वाली है, जबकि रेलवे अपनी कमाई के जुगाड़ में लगा हुआ है।
1420 रुपए तक बढ़ेगा किराए का बोझ
सारनाथ से सफर करने वालों में मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और बिहार के यात्री शामिल हैं। राजधानी समेत पूरे राज्य से बड़ी संख्या में लोग प्रयागराज जाते हैं। रायपुर से प्रयागराज का किराया स्लीपर क्लास में 385 रुपए है जबकि थर्ड एसी का भाड़ा 1040 रुपए है। इसी तरह सेकेंड एसी की बात करें तो यात्रियों को स्लीपर की तुलना में 1100 रुपए अधिक देने होंगे। छपरा तक सफर करने वालों को 1420 रुपए तक अधिक किराया देने की मजबूरी होेगी।
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