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कॉलेज की शिक्षिका ने किया फ्रॉड : छात्राओं से परीक्षा फीस लेकर नहीं किया जमा, 70 छात्राएं परीक्षा से हुईं वंचित…

सूरजपुर। परीक्षा फॉर्म जमा नहीं होने के चलते छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के बिश्रामपुर स्थित एक गर्ल्स कॉलेज की 70 छात्राएं परीक्षा से वंचित हो गई हैं। अब इन छात्राओं का भविष्य अधर में लटक गया है।

पीड़ित छात्राओं का आरोप है कि कॉलेज की ही एक टीचर दीपा प्रजापति ने उनसे कहा कि इस बार परीक्षा फार्म कॉलेज से ही भरा जाएगा और फिर उनसे 3600 रुपये प्रति छात्रा की दर से पैसे भी ले लिए। जब वे परीक्षा देने पहुंचीं तो पता चला कि उनका परीक्षा फार्म ही नहीं भरा गया है। छात्राओं ने इसकी शिकायत विश्वविद्यालय में करने के साथ ही थाने में भी की है। अब पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।

यह प्रकरण सूरजपुर जिले के बिश्रामपुर स्थित वीणा कन्या महाविद्यालय का है। यहां पढ़ने वाली छात्राओं ने आरोप लगाया है कि कॉलेज में पदस्थ शिक्षिका दीपा प्रजापति ने उनसे कहा था कि मुख्य परीक्षा का फार्म कॉलेज से ही भरा जाएगा, फिर शुल्क के रूप में 3600 रुपये प्रति छात्रा की दर से रकम जमा कराने की बात कही। उस पर भरोसा कर विभिन्न संकायों की करीब 70 छात्राओं ने टीचर को पैसे दे दिए।

नहीं मिला एडमिट कार्ड, परीक्षा से हुए वंचित

इस बीच किसी भी छात्रा का एडमिट कार्ड यूनिवर्सिटी से जारी नहीं किया गया, तब उन्हें आशंका हुई। इसके बाद परीक्षा शुरू हो गई लेकिन, सेंटर में भी उनका नाम नहीं था, तब स्पष्ट हुआ कि उनका परीक्षा फार्म ही नहीं भरा गया है। ये पता चलते ही उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। एक साथ 70 छात्राओं का पूरा एक साल बर्बाद होने का खतरा मंडरा रहा है। परीक्षा शुरू होने के साथ ही अब तक तीन पेपर भी हो चुके हैं।

यूनिवर्सिटी के साथ कलेक्टर व थाने में भी शिकायत

सबसे पहले तो छात्राएं यूनिवर्सिटी पहुंचीं. वहां जानकारी जुटाने पर स्पष्ट हो गया कि इन 70 छात्राओं में से किसी का भी परीक्षा फार्म नहीं भरा गया है और न आवेदन ही किया गया है. वहीं अब इस मामले की शिकायत जयनगर थाने में करने के साथ ही कलेक्टर से भी की गई है।

टीचर ने फिर दिया झांसा देने का प्रयास

छात्राओं ने चर्चा के दौरान बताया कि जब उनके नाम से एडमिट कार्ड नहीं आया तब उन्होंने टीचर से भेंट की और आशंका जताई। तब इन छात्राओं से कहा गया कि वे चिंता न करें, पेपर अभी स्थगित हो गई है। लेकिन, जब परीक्षा शुरू हो गई तब उन्हें धोखेबाजी का एहसास हुआ। अब उन्हें साल खराब होने का डर सता रहा है।

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