महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत कार्य करने वाले अधिकारी और कर्मचारी पिछले 66 दिनों से दो सूत्रीय मांगों को लेकर बेमियादी हड़ताल पर थे। इनके हड़ताल में होने की वजह से जिले में मनरेगा का काम ठप हो गया था। ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर काम नहीं मिलने से पलायन की स्थिति बनने लगी थी। कोविड काल में दूसरे प्रदेशों से लौटे मजदूरों के सामने रोजगार का संकट पैदा हो गया था और ये बाहर जाने से फिर से मजबूर हो गए थे।
हड़ताल के चलते बारिश के पहले होने वाले मनरेगा संबंधित कार्य भी अधूरे हो गए हैं। राज्य सरकार की ओर से अब दो सूत्रीय मांगों को पूरा करने समिति गठित करने व निलंबित किए गए अधिकारियों को बहाल किए जाने के आश्वासन के बाद मनरेगा कर्मियों ने हड़ताल समाप्त कर दी है। मनरेगा शाखा के कर्मचारी नियमितीकरण और पंचायत कर्मी घोषित किए जाने की मांग को लेकर हड़ताल में चले गए थे।
24 अप्रैल से शुरू हुई थी इनकी हड़ताल
कर्मियों ने 24 अप्रैल से हड़ताल की शुरुआत की। अपनी मांगों को लेकर दंतेवाड़ा से रायपुर तक लगभग 400 किलोमीटर की पदयात्रा की गई। जिला स्तर पर प्रदर्शन करने के बाद कर्मचारी राजधानी में लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे थे। वहीं लगातार सोशल मीडिया में सक्रिय भी रहे।
इसी का नतीजा है कि कैिबनेट मंत्री कवासी लखमा ने हड़ताली कर्मियों से की और बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में मांगों को पूरा करने के लिए राज्य स्तरीय समिति का गठन किया गया है।
मांग पूरी नहीं होने पर फिर करेंगे प्रदर्शन
मनरेगा कर्मचारी संघ की ओर से दो सूत्रीय मांगों को पूरा करने के साथ ही हड़ताल अवधि में बर्खास्त किए गए 21 सहायक परियोजना अधिकारियों की बहाली की मांग भी रखी। कहा कि तीन माह के भीतर मांग पूरी नहीं होने पर हड़ताल के लिए फिर से बाध्य होंगे।
हड़ताल अवधि का वेतन दिए जाने की मांग रखते हुए हड़ताल से वापस लौट गए हैं। इधर हड़ताल समाप्त होते ही पंचायतों में मनरेगा के कार्य तेजी से शुरू किए जाएंगे। इससे ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिल पाएगा।
नौकरी की गारंटी मांगी
मनरेगा कर्मियों का कहना था कि ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराते हैं पर खुद की नौकरी की गारंटी नहीं है। नियमितीकरण की मांग को लेकर कर्मियों की ओर से लगातार मांग की जा रही थी। हड़ताल से पहले भी कर्मियों ने सरकार तक अपनी बात पहुंचाई थी पर ध्यान नहीं दिया जा रहा था। इससे मनरेगा कर्मियों में रोष बढ़ता गया और प्रदेश मनरेगा संघ की ओर से हड़ताल का आह्वान कर दिया गया था। मनरेगा कर्मियों के हड़ताल में जाते ही जिले में निर्माण कार्य ठप हो गए थे।
ये कार्य हुए प्रभावित
मनरेगा के तहत बारिश के पूर्व तालाब निर्माण, तालाब गहरीकरण, कुआं निर्माण, डबरी निर्माण सहित खेत सुधार सहित शेड निर्माण व अन्य कार्य प्रभावित हुए। यहां तक कई सरपंचों ने मनरेगा के तहत गहरीकरण कराने के लिए तालाब से पानी बहा दिया था। बाद में काम नहीं हो पाया पर अब फिर से ये कार्य पूरे हो पाएंगे।
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