कोरोना के कारण इकोनॉमी पर काफी बुरा असर हुआ है. इसके अलावा असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले बड़ी संख्या में लोग गरीबी रेखा के नीचे पहुंच गए हैं.
हालांकि, दूसरी लहर के बाद आर्थिक सुधार ट्रैक पर है और माना जा रहा है कि चालू वित्त वर्ष में सरकार का रेवेन्यू कलेक्शन बजट अनुमान के मुकाबले ज्यादा होगा. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार इस एडिशनल फंड का इस्तेमाल वेलफेयर स्कीम्स और रूरल जॉब प्रोग्राम पर खर्च करेगी.
वित्त वर्ष 2021-22 के लिए सरकार ने रेवेन्यू का लक्ष्य 15.45 लाख करोड़ रुपए रखा है. माना जा रहा है कि चार सालों के बाद पहली बार सरकारी खजाने में उम्मीद के मुकाबले ज्यादा पैसे आएंगे. इस पैसे का इस्तेमाल सरकार राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए नहीं करेगी. दो विश्वस्त सरकारी सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी गई है.
दिवाली से पहले सरकार ने पेट्रोल पर 5 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपए प्रति लीटर उत्पाद शुल्क में कटौती का ऐलान किया. माना जा रहा है कि इसके कारण टैक्स कलेक्शन में 55 से 60 हजार करोड़ की कमी आएगी. माना जा रहा है कि एक्साइज ड्यूटी कट के बावजूद सरकारी खजाने में बजट अनुमान के मुकाबले ज्यादा पैसे आएंगे.
रोजगार पैदा करने पर रहेगा जोर
सूत्र ने कहा कि जो एक्स्ट्रा पैसा आएगा उसका इस्तेमाल सब्सिडी बांटने और रोजगार पैदा करने में किया जाएगा. हालांकि, सरकार को कितना ज्यादा रेवेन्यू का अनुमान है, यह जानकारी सूत्रों ने देने से इनकार कर दिया. चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने कर्ज और राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में किसी तरह के बदलाव का फैसला नहीं किया है.
फिस्कल डेफिसिट 6.8 फीसदी रहने का लक्ष्य
पेट्रोल-डीजल पर टैक्स कट से पहले आर्थिक जानकारों का कहना था सरकार राजकोषीय घाटे के 6.8 फीसदी के अनुमान को 30-50 बेसिस प्वाइंट से कटौती कर सकती है. चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने बाजार से 12.055 लाख करोड़ कर्ज जुटाने का लक्ष्य रखा है.
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