विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दुनिया और खासकर यूरोपीय देशों को खबरदार किया है कि अगर समय रहते नहीं चेते तो कोरोना वायरस की तीसरी लहर फैलने की प्रबल आशंका है. WHO ने जोर देकर कहा कि कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए यूरोपीय देशों ने पर्याप्त उपाय नहीं किए गए, इसके चलते यूरोपीय देशों में कोविड-19 की दूसरी लहर आई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेष दूत डेविड नाबरो ने कहा कि अब भी वक्त है कि कोरोना वायरस को रोकने के लिए कठोर उपाय किए जाएं नहीं तो 2021 की शुरुआत में कोरोना वायरस के तीसरी लहर आ सकती है.
बता दें कि दुनियाभर में अब तक 5.89 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं. इनमें 4.07 करोड़ लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 13.93 लाख लोगों की जान जा चुकी है. अब 1.68 करोड़ मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है. हालांकि अच्छी खबर ये है कि अमेरिका, जर्मनी और ब्रिटेन में वैक्सीन बहुत जल्दी आने वाली है. इन देशों के मुताबिक, वैक्सीनेशन दिसंबर में औपचारिक तौर पर शुरू कर दिया जाएगा. जर्मनी के हेल्थ मिनिस्टर ने भी इस बात की पुष्टि कर दी है कि उनके देश में दिसंबर से वैक्सीनेशन शुरू हो जाएगा.
उधर विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेष दूत ने स्विस अखबारों को दिए गए साक्षात्कार में कहा कि गर्मियों के महीनों में यूरोपीय देश कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण नहीं हो सका. इसमें चूक हुई है. इसलिए दुनिया को कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप देखना पड़ा. डेविड नाबरो ने कहा कि यह कोरोना महामारी की दूसरी लहर है. अगर हम कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण नहीं करते तो अगले साल की शुरुआत में एक तीसरी लहर के लिए तैयार रहे.
WHO के मुताबिक संक्रमण की दर बढ़ रही है. जर्मनी और फ्रांस में शनिवार को संयुक्त रूप से 33,000 नए मामले सामने आए हैं. स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रिया में रोजाना हजारों केस सामने आ रहे हैं. तुर्की ने रिकॉर्ड 5,532 नए मामले दर्ज किए गए हैं. इसके अलावा एशिया में भी फिर से मामले बढ़ने लगे हैं. नाबरो ने लोगों से मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का सख्ती से पालन करने का आग्रह किया.
नाबरो ने सवाल करते हुए कहा कि क्या रिसॉर्ट खोलने का वक्त आ गया है ? क्या शर्तों के साथ रिसॉर्ट खोले गए हैं ? इस क्रम में उन्होंने एशियाई देशों की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि यूरापीय देशों की तुलना में एशियाई मुल्कों ने समय से पहले प्रतिबंधों में ढील नहीं दी. एशियाई मुल्कों ने इस तरह का उपबंध किया है कि कोरोना वायरस का प्रसार मंद हुआ है. उन्होंने कहा कि वह बीमार होने पर दूरी बना कर रखते हैं. मास्क पहनते हैं. हाथों को धोते हैं.
नोबरो ने खासकर कोविड-19 से निपटने के लिए दक्षिण कोरिया द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की. उन्होंने कहा कि स्विट्जरलैंड में कोरोना वायरस का प्रसार तेज हो रहा है. यहां कोरोना महामारी से मौत का ग्राफ बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि एक बार संक्रमण की दर बढ़ने के बाद उस पर काबू पाना काफी कठिन होता है.
संक्रमण और मौतों के मामले में अमेरिका पहले स्थान पर बना हुआ है. यहां के लोगों और जो बाइडेन की आने वाली नई सरकार के लिए एक बेहद राहत भरी खबर है. यूएस कोविड-19 वैक्सीन टास्क के हेड मोन्सेफ सलोई ने सीएनएन को दिए इंटरव्यू में कहा- अमेरिका में पहले व्यक्ति को वैक्सीन 11 दिसंबर को दी जाएगी. हमारी कोशिश है कि जैसे ही एफडीए वैक्सीन को मंजूरी देती है, वैसे ही हम इसको लगाने का काम शुरू कर देंगे. इसके लिए तमाम तैयारियां पहले ही पूरी की जा चुकी हैं. मुझे पूरी उम्मीद है कि 11 या 12 दिसंबर तक हमें मंजूरी मिल जाएगी, राज्यों ने भी इसके लिए सभी जरूरी तैयारियां पूरी कर ली हैं. अमेरिका में 10 दिसंबर को एफडीए की अहम मीटिंग होने जा रही है. माना जा रहा है कि इसी दिन यह एजेंसी वैक्सीन को मंजूरी दे देगी.
अमेरिकी सरकार ने लोगों से अपील की थी कि वे थैंक्सगिविंग सप्ताह में ट्रैवलिंग से बचें. लेकिन, सरकार की अपील का कतई असर होता नजर नहीं आता. सीएनएन के मुताबिक, लाखों लोग लॉन्ग ड्राइव पर जाने की तैयारी कर चुके हैं. इससे वायरस काफी तेजी से फैल सकता है. इसके अलावा एक और खतरा अस्पतालओं में बेड कम पड़ने का है. यहां पहले ही हालात काबू से बाहर होते जा रहे हैं.
उधर स्पेन के पीएम पेड्रो सांचेझ ने रविवार को बताया कि देश में वैक्सीनेशन का काम जनवरी में शुरू कर दिया जाएगा. सांचेझ ने कहा- हमने अपनी तरफ से तमाम जरूरी व्यवस्थाएं कर ली हैं. हम ये मानकर चल रहे हैं कि देश में जनवरी में वैक्सीनेशन शुरू होगा और तीन महीने में पूरे देश को इसके डोज मुहैया करा दिए जाएंगे. स्पेन और जर्मनी यूरोप के पहले ऐसे देश होंगे जहां कम्पलीट वैक्सीनेशन होगा. देश में कुल 13 हजार वैक्सीनेशन पॉइंट्स बनाए गए हैं.
बता दें कि ईरान में रविवार को 13 हजार से ज्यादा मामले सामने आए. इससे भी ज्यादा परेशानी की बात यह है कि इसी दौरान 475 लोगों की मौत हो गई. हेल्थ मिनिस्ट्री ने एक बयान में इन आंकड़ों की पुष्टि की है. सरकार का कहना है कि उसने अपनी तरफ से सख्त उपाय किए हैं, लेकिन लोगों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी. दूसरी तरफ, ईरान सरकार कुछ देशों से वैक्सीन हासिल करने के लिए संपर्क कर रही है. पिछले दिनों खबर आई थी कि ईरान सरकार के अफसरों ने चीन का दौरा किया था और वहां से वैक्सीन खरीदने पर बातचीत की थी. हालांकि, आधिकारिक तौर पर इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन सोमवार को एक संबोधन के जरिये देश में कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए ‘कोविड शीतकालीन योजना’ की घोषणा कर सकते हैं जिसमें औपचारिक रूप से दो दिसंबर को लॉकडाउन समाप्त होने के बाद कुछ सख्त चरणबद्ध कदमों की उम्मीद है. डाउनिंग स्ट्रीट ने कहा कि और अधिक क्षेत्रों को आवाजाही तथा घरों पर रहने संबंधी पाबंदियों के कठिन स्तर में रखा जा सकता है. ब्रिटेन में करीब एक महीने के लॉकडाउन से पहले क्षेत्रों में संक्रमण की दर के आधार पर अलग-अलग सामाजिक दूरी संबंधी नियमों की तीन स्तरीय प्रणाली बनाई गई थी.
सरकार का आपातकाल के लिए वैज्ञानिक सलाहकार समूह सोमवार को अपने निष्कर्ष जारी कर सकता है और उसका कहना है कि पिछले चरणों में किये गये उपाय पर्याप्त सख्त नहीं थे. कोविड शीतकालीन योजना पर और ज्यादा जानकारी सोमवार को हाउस ऑफ कॉमन्स में प्रधानमंत्री के भाषण में सामने आ सकती है. इससे पहले कैबिनेट रविवार को इस बारे में विचार करेगी जिसमें जॉनसन डिजिटल तरीके से भाग ले सकते हैं क्योंकि वह संक्रमित पाये गये एक सांसद से संपर्क में आने के बाद से स्व पृथक-वास में हैं. ब्रिटिश मीडिया की कुछ खबरों में कहा गया है कि जॉनसन क्रिसमस पर कोविड-19 की पाबंदियों से एक हफ्ते तक की छूट दे सकते हैं और यह छूट स्कॉटलैंड, वेल्स तथा नदर्न आयरलैंड की अवक्रमित (डिवॉल्व्ड) सरकारों के साथ समझौते पर निर्भर करेगी.
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