रायपुर। राजधानी में 95 प्रतिशत सिटी बसों का संचालन नहीं हो रहा है। तकरीबन पांच माह से अधिक हो गया, लेकिन सिटी बसें सड़कों पर नहीं चल रही हैं। सिटी बसों का संचालन न होने से राजधानी वासियों एवं दूरदराज से आने वाले यात्रियों की जेब पर जहां असर पड़ रहा है, वहीं साधन को लेकर उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
सिटी बसें न चलने की वजह यह है कि उनके परमिट की अवधि खत्म हो गई है। बस संचालक द्वारा परमिट की अवधि खत्म होने के एक माह पहले परिवहन कार्यालय में वाहनों के पेपर जमा कर दिए गए थे, लेकिन अभी तक विभाग ने परमिट का नवीनीकरण नहीं किया है। वहीं दूसरी तरफ निगम के अधिकारियों का कहना है कि बस संचालक से बात चल रही है, जल्द ही बस का संचालन शुरू कर दिया जाएगा।
राजधानी में रायपुर नगर निगम के अंतर्गत सौ सिटी बसों का संचालन किया जा रहा है। नगर निगम ने सिटी बस चलाने के लिए दो प्राइवेट कंपनियों को जिम्मा सौंपा है, जिसमें 66 बसों का परमिट निरस्त हो गया है तो वहीं 25 बसों का संचालन कोविड में मरीजों को लाने और ले जाने का काम किया जा रहा है। बाकी की नौ बसों का संचालन करने की बात कही जा रही है। शेष बसों का संचालन बंद है।
बसों का संचालन बंद होने से यात्री हलाकान हो रहे हैं, लेकिन निगम के अधिकारियों को इसकी कोई परवाह नहीं है। इसकी वजह है कि राजधानी में बसों का संचालन बंद है। राजधानी में परिवहन का साधन न होने से यात्रियों को अधिक किराया देकर आटो और टैक्सी में यात्रा करनी पड़ रही है। अधिक पैसा देने के बाद भी उन्हें कई घंटों इंतजार करना पड़ रहा है।
पदयात्रा को मजबूर
बिरगांव से भारी संख्या में मजदूर रोजाना काम की तलाश में आते हैं। बिरगांव से आने वाले हेमंत कुमार ने बताया कि सिटी बस का किराया कम होने की वजह से वे आराम से घर पहुंचे थे, लेकिन सिटी बस का संचालन बंद होने से आटो से आने पर अधिक पैसे देने प़ड़ रहे हैं। इसके साथ ही समय पर काम पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। इसके चलते पूरी मजदूरी भी नहीं मिल रही है। सिटी बस के शुरू होने से काफी राहत मिलेगी।
एकमात्र साधन
कबीर नगर निवासी अरविंद कुमार नेताम ने बताया कि सिटी बसों के न चलने की वजह से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सिटी बस से ही प्रतिदिन रायपुर आते थे। उन्होंने बताया कि सुबह काम पर आने के बाद शाम को वापस घर लौट जाता था। किफायती किराया और समय पर चलने के कारण काफी सुविधाजनक थी, लेकिन इसके बंद होने से किराए के नाम पर सौ रुपये से खर्च करना पड़ता है।
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