
रायपुर। किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में सुराजी गांव योजना महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगी। राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए इस योजना में नदी-नालों को पुर्नजीवन देने का भी काम किया जा रहा है।
नदी-नालों के पुर्नजीवन से किसानों को सिंचाई के लिए जहां भरपुर पानी मिलेगा वहीं किसान दोहरी फसल भी ले सकेंगे। जिला प्रशासन कोंडागांव की पहल पर 7 मौसमी नालों को पुर्नजीवन का काम हाथ में लिया गया है।
नरवा कार्यक्रम के तहत् वैज्ञानिक पद्धति से उपचार और वर्षा जल के संचयन करने अनेक स्थानों पर स्टॉप डैम, कंटूरबंड आदि संरचनाएं बनाई जायेंगी। वर्षा जल के संचयन और नदी नालों के उपचार से आसपास के क्षेत्र की मिट्टी में नमी बनेगी साथ ही फसलों की सिंचाई के लिए जल उपलब्ध रहेगा।
वर्षा जल के संचयन से भूजल स्तर में भी वृद्धि होगी। जिला प्रशासन द्वारा नदी नालों के पुर्नजीवन की योजना के पूर्ण होने से न केवल इसके दूरगामी जनहितकारी परिणाम निकलेंगे, बल्कि जल संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में यह योजना मील का पत्थर साबित होगा।
कोंडागांव जिले के कई क्षेत्र में छोटे-छोटे नदी नाले है जिनके जल संसाधन का उपयोग नहीं हो सका है पहले ऐसे नदी नालों में वर्ष के छह से आठ महीने भरपूर पानी रहता था, परन्तु वर्तमान में अनवरत भूगर्भीय, जलादोहन से इनके जल भराव की क्षमता घट गई है। फलस्वरुप ये नदी-नाले सूखे मौसम के आने से पहले ही सूख जाते है।
परन्तु अब राज्य शासन के ‘नरवा’ कार्यक्रम के क्रियान्वयन से इन जल स्त्रोतों के संरक्षण एवं संवर्धन की संभावनाएं बढ़ गई है। जल संसाधन एवं कृषि विभाग द्वारा संयुक्त रुप से जिले में नदी नाले का चयन किया गया है। इसमें किए सर्वे अनुसार कुल 156 संरचना निर्माण का लक्ष्य रखा गया है।
जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पांच विकासखण्डों कोंडागांव, केशकाल, बेराजपुर, फरसगांव और माकड़ी में बहने वाले नालों के पुर्नजीवन का काम के लिए प्रारंभिक तैयारीयां शुरू कर दी गई है।
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