दिवाली के अगले दिन यानी कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को होने वाली गोर्वधन पूजा (Govardhan Puja) का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है. इस दिन गोवर्धन पर्वत (Govardhan Parvat) के साथ पशुधन की पूजा की जाती है. ऐसे में आज गोवर्धन पूजा है. ये पूजा ब्रजवासियों ने भगवान कृष्ण के कहने पर शुरू की थी. मान्यता है कि भगवान ने ब्रजवासियों को इंद्र की पूजा करने बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने को कहा था, क्योंकि वहां से ही पूरे ब्रज की गाय को चारा मिलता था. इस दिन लोग गाय बैल को स्नान कराकर उन्हें सजाते हैं. गाय और बैलों को गुड़ और चावल मिलाकर खिलाया जाता है. गोवर्धन की पूजा कर लोग प्रकृति के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं. इस दिन भगवान कृष्ण को अन्नकूट (Annakut Puja) का भोग भी लगाते हैं. अब आपको बताते हैं कि कैसे होती है गोवर्धन पूजा और क्या है इसका शुभ मुहूर्त.
गोवर्धन पूजा मुहूर्त
भगवान गोवर्धन की पूजा सुबह के समय की जाती है. इस दिन सबसे पहले गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बना कर नमन करते हुए अन्न, खील, लावा, मिष्ठान का भोग लगाएं. हिंदू पंचांग के अनुसार आज प्रतिपदा तिथि सुबह 02 बजकर 44 मिनट से शुरू हो चुकी है और रात्रि में 11 बजकर 14 मिनट पर यह समाप्त होगी.
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
गोवर्धन पूजा मुहूर्त- शुबह 06:36 बजे से सुबह 08:47 बजे तक
अवधि- 02 घंटे 11 मिनट
शाम का पूजा मुहूर्त- दोपहर 03:22 बजे से शाम 05:33 बजे तक
अवधि- 02 घंटे 11 मिनट
कैसे की जाती है गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा के लिए आपको क्या करना है, सुबह जल्दी उठकर पूजन सामग्री के साथ में आप पूजा स्थल पर बैठ जाइए और अपने कुल देव का, कुल देवी का ध्यान करिए और पूजा के लिए गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत तैयार कीजिए. इसे लेटे हुए पुरुष की आकृति में बनाया जाता है. इसके बाद इन्हें फूल, पत्ती, टहनियों एवं गाय की आकृतियों से या फिर आप अपनी सुविधा के अनुसार इसे किसी भी आकृति से सजा लीजिए.
गोवर्धन पर्वत की आकृति तैयार कर उनके मध्य में भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति रखी जाती है, ध्यान रखिए कि गोवर्धन जी की आकृति के मध्य यानी नाभि स्थान पर एक कटोरी जितना हिस्सा खाली छोड़ा जाता है. और वहां एक कटोरि या मिट्टी का दीपक रखा जाता है फिर इसमें दूध, दही, गंगाजल, शहद और बतासे इत्यादि डालकर पूजा की जाती है और बाद में इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है.
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