छत्तीसगढ़स्लाइडर

राजनांदगांव: आरूग हनी के नैसर्गिक शहद की मिठास का स्वाद ले सकेंगे जनसामान्य… बैगा जनजाति को मिला आजीविका का साधन…

राजनांदगांव: अब जनसामान्य छुईखदान विकासखंड के वनांचल ग्राम ढोलपिट्टा एवं साल्हेवारा के बैगा जनजाति से प्राप्त आरूग हनी के नैसर्गिक शहद की मिठास का स्वाद ले सकेंगे।

कृषि विभाग द्वारा एक्सटेंशन रिफाम्र्स आत्मा योजना के तहत छुईखदान विकासखंड के दूरस्थ अंचल के ग्राम ढोलपिट्टा के जय बूढ़ादेव शहद संग्रहण समूह द्वारा शहद संग्रहित किया गया है। इसके बाद प्रोसेसिंग एवं पैकेजिंग का कार्य समितियों द्वारा किया गया। आरूग हनी के नाम से  नैसर्गिक शहद की ब्रान्डिग की गई है।

आज कलेक्टोरेट परिसर में जनसामान्य बड़ी संख्या आरूग शहद का विक्रय किया। उप संचालक कृषि जीएस धु्रर्वे ने बताया कि आरूग प्राकृतिक एवं शुद्ध शहद है। इससे वनांचल क्षेत्र की बैगा जनजाति को आजीविका का साधन मिला है।

उल्लेखनीय है कि इस कार्य के लिए सहायक संचालक टीकम ठाकुर, एक्सटेंशन रिफाम्र्स आत्मा योजना के राजू एवं कृषि विभाग की टीम ने कड़ी मेहनत की है। छत्तीसगढ़ी शब्द आरूग अर्थात शुद्ध होता है। शहद या मधु पर एक नैसर्गिक संजीवनी है। शहद के प्रतिदिन सेवन से शरीर की रोगप्रतिरोध क्षमता बढ़ती है।

यह खनिज एवं जीवन सत्व से भरपूर है। कोरोना संक्रमण से लडऩे के लिए रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है तथा बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए लाभदायक है।

Back to top button
close