
कोरबा। कमर्शियल माइनिंग के खिलाफ संयुक्त ट्रेड यूनियनों की तीन दिवसीय हड़ताल गुरुवार से शुरू होगी। इस हड़ताल की तैयारी पुरी कर ली गई है। केंद्र सरकार ने देश में कोयला उद्योग में कमर्शियल माइनिंग के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। इसके विरोध में ट्रेड यूनियन भारतीय मजदूर संघए एटक, सीटू, एचएमएस और इंटक ने 2 जुलाई से 4 जुलाई तक एसईसीएल के कोयला खदानों में हड़ताल करने का चेतावनी दिया है।
इस हड़ताल को मध्य नजर रखते हुए कोल् सचिव अनिल कुमार जैन ने ट्रेड यूनियन प्रतिनिधियों से बातचीत कर हड़ताल नहीं करने का आग्रह किया था। यह बातचीत असफ ल होने के बाद एसईसीएल में हड़ताल होना तय माना जा रहा है। हड़ताल से कोयला उत्पादन और डिस्पैच प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है। इस हड़ताल में एसईसीएल कोरबा जिला के चारों एरिया में कार्यरत तकरीबन 17000 से भी अधिक कोयला मजदूरों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।
हड़ताल से पावर प्लांटों को कोयला आपूर्ति नहीं हो पाएगी। जिसे देखते हुए कोयला और पावर प्लांट के प्रबंधकों ने एक जुलाई से कोल् भंडारण के दिशा में तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। हड़ताल के तैयारी के संबंध में कोयला उद्योग में ट्रेड यूनियन एटक के राष्ट्रीय सचिव दीपेश मिश्रा ने बताया कि हड़ताल की सभी तैयारी पूरी कर ली गयी है। कमर्शियल माइनिंग का फैसला सरकार द्वारा जब तक वापस नही लिया जायेगा तब तक कोयला मजदूर आंदोलन करते रहेंगे फि लहाल तीन दिवसीय हड़ताल की जा रही है।
सीटू के राष्ट्रीय सचिव वी एम मनोहर ने बताया कि कमर्शियल मॉनिंग से कोल् इंडिया का निजीकारण होना तय है। इसलिए कोयला मजदूर हड़ताल करने के लिए बाध्य है। साथ ही एचएमएस के महामंत्री ए विश्वास अध्यक्ष सुरेंद्र मिश्रा ने बताया कि हड़ताल का भूमिगत और खुली खदान में व्यपक असर पड़ेगा। केंद्र सरकार मजदूरों के हित मे कार्य करने के बजाय श्रम कानूनों के साथ खिलवाड़ कर रही है।