नई दिल्ली। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह व उनके तीन करीबी सहयोगियों को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए उम्र कैद की सजा सुनाई है। पंचकूला में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के स्पेशल कोर्ट ने राम रहीम मामले में गुरुवार को फैसला सुनाया।
पत्रकार रामचंद्र छत्रपति मर्डर केस में स्पेशल कोर्ट ने गुरमीत राम रहीम को मरते दम तक कारावास की सजा सुनाई। वहीं तीन अन्य दोषियों-कुलदीप सिंह, निर्मल सिंह और कृष्ण लाल को भी ताउम्र कैद की सजा सुनाई गई। कोर्ट ने इन पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया।
इससे पहले डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख की सजा को देखते हुए पंचकूला समेत हरियाणा के उन तमाम शहरों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई जहां डेरा सच्चा सौदा का प्रभाव है।
आपको बता दें कि सीबीआई ने राम रहीम को फांसी देने की मांंग की है राम रहीम व उसके तीन करीबी सहयोगियों को पहले ही दोषी करार दिया जा चुका था।
16 साल पुराने इस मामले में राम रहीम के अलावा तीन अन्य दोषियों निर्मल सिंह और कृष्ण लाल और जगदीप सिंह को भी सजा सुनाई गई। 51 वर्षीय राम रहीम अपनी दो अनुयायियों के बलात्कार के जुर्म में रोहतक की सुनारिया जेल में 20 साल की सजा काट रहा है।
पंचकूला, सिरसा और हरियाणा के अन्य हिस्सों में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। सिरसा में डेरा सच्चा सौदा का मुख्यालय है। पंचकूला अदालत परिसर के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
हरियाणा पुलिस ने अदालत जाने वाले मार्गों पर अवरोधक लगा दिए हैं। राज्य सरकार ने मंगलवार को एक याचिका दायर कर कहा था कि डेरा प्रमुख की आवाजाही के कारण कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा हो सकती है।
2002 में पत्रकार छत्रपति के समाचार पत्र पूरा सच ने एक पत्र प्रकाशित किया था जिसमें यह बताया गया था कि डेरा मुख्यालय में राम रहीम किस प्रकार महिलाओं का यौन उत्पीडऩ कर रहे हैं। इसके बाद छत्रपति को अक्टूबर 2002 में गोली मार दी गई थी। गंभीर रूप से घायल होने के कारण पत्रकार की बाद में मौत हो गई थी।
सजा के ऐलान को देखते हुए पंचकूला में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। आरोप लगा था कि गोली डेरा अनुयायियों ने मारी गोली मार दी थी। 2002 के इस मामले में गुरमीत राम रहीम को मुख्य षडय़ंत्रकर्ता नामित किया गया है। 2003 में इस संबंध में मामला दर्ज किया गया था।
इस मामले को 2006 में सीबीआई को सौंप दिया गया था। जुलाई 2007 को सीबीआई ने चार्जशीट पेश की और साल 2014 में सबूतों पर कोर्ट में बहस शुरू हुई, फिर ऐसा करते-करते ये केस इस अंजाम तक पहुंचा है।
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