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स्कूली बच्चे बेच रहे हैं सिगरेट और तम्बाकू…मुफ्त और डिस्काउंट में ऑफर भी…

नई दिल्ली। भारत में कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए तम्बाकू कंपनियां अपने उत्पादों की बिक्री और विज्ञापन के लिए आठ साल से कम उम्र के स्कूली बच्चों को निशाना बना रही है। एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। स्कूली बच्चों को तंबाकू बेचने वाले प्रमोशन के तौर पर तंबाकू उत्पादों को डिस्काउंट रेट पर और मुफ्त में भी ऑफर कर रहे हैं।

सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम के अनुसार शिक्षण संस्थानों के 100 गज के दायरे के भीतर सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों की बिक्री गैरकानूनी है। एक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक स्कूलों के आसपास के लगभग आधे विक्रेता तम्बाकू उत्पाद बेचते हैं।

छह राज्यों- मध्य प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, तमिलनाडु, असम और तेलंगाना के कुल 20 शहरों के 243 स्कूलों के पास किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है। 243 स्कूलों के पास कुल 487 प्वाइंट (तंबाकू बेचने वाली जगह या मोबाइल वेंडर) पर अध्ययन हुआ। इसमें 225 प्वाइंट ऐसे थे, जहां नियम-शर्तों का पालन नहीं हो रहा था।



अध्ययन के मुताबिक, विक्रेताओं ने स्कूलों के आसपास तंबाकू उत्पादों का विज्ञापन किया और सिगरेट और बीड़ी को पैकेट से निकालकर खुला बेचा, जिससे ये उत्पाद बच्चों और युवाओं के लिए सस्ते और सुलभ हो गए।

54 प्रतिशत प्वाइंट्स पर तम्बाकू के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव के बारे में अनिवार्य सूचना ऐसे दी गई है, जो देखे ही नहीं जा सकते थे।
225 में से 37.5 फीसदी वेंडर डिस्काउंट रेट पर और 32.5 फीसदी वेंडर मुफ्त में तंबाकू उत्पाद बेचने का ऑफर दे रहे थे। 34 फीसदी प्वाइंट्स पर तम्बाकू उत्पाद का प्रचार-प्रसार किया गया था। सबसे ज्यादा प्रचार ब्रिटिश टोबैको ब्रांड का था, जबकि इसके बाद सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी आईटीसी के उत्पादों का प्रचार था।

इस संबंध में वॉलेंटरी हेल्थ एसोसिएशन की मुख्य कार्यकारी अधिकारी भावना बी मुखोपाध्याय ने कहा कि तम्बाकू उद्योग को हमारे बच्चों के स्कूलों के आसपास उनके आक्रामक विज्ञापन के प्रयासों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। हमारे स्कूल तब तक सुरक्षित नहीं हैं, जब तक तम्बाकू उद्योग अपने जानलेवा उत्पादों को बेचने के लिए हमारे बच्चों को लालच देने की कोशिश करता रहेगा।

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