
नई दिल्ली. देश-दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) के कारण लगातार स्थितियां चिंताजनक बनी हुई हैं. ब्रिटेन (UK Strain) , दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में पाए गए कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन को लेकर हालात और गंभीर हो गए हैं. कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस के ये नए रूप बेहद तेजी से फैलते हैं. भारत में भी दिनोंदिन कोरोना वायरस संक्रमण की रफ्तार बढ़ रही है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले दिनों बताया कि भारत के 18 राज्यों में कोविड-19 वायरस (COVID-19 Double Mutant Strain) के कई अलग-अलग रूप देखे गए. इन तमाम प्रकारों के बीच डबल म्यूटेंट वेरिएंट भी है. जीनोम सीक्वेंसिंग के दौरान इसका पता लगने के बाद से चिंता जताई जा रही है कि कहीं तेजी से दर बढ़ने की वजह यही वेरिएंट तो नहीं. ऐसे में लोगों के मन में म्यूटेशन और स्ट्रेन संबंधी कई सवाल घूम रहे हैं. आइये जानते हैं इन सवालों के जवाब…
सवाल- कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस के नए वैरियंट या रूप के कारण ही आजकल तेजी से संक्रमण फैल रह है. क्या हमें घबराने की जरूरत है?
जवाब- टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के एम्स के पूर्व डीन प्रोफेसर एनके मेहरा ने इन सवालों के जवाब दिए हैं. उनका कहना है कि वायरस में नए वैरिएंट तेजी से फैलते हैं. ये भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार अलग-अलग होते हैं. हाल ही की रिपोर्ट बताती हैं कि कोरोना वायरस में म्यूटेशन हुए हैं और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में इसके कारण जीनोम में विविधता देखी गई है. यह महत्वपूर्ण है कि हम इसपर पूरी नजर रखें ताकि इसके प्रसार की निगरानी की जा सके. हालांकि इसे लेकर घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह कुछ समय में ठीक हो जाएंगे. हमें टेस्ट, ट्रैक और ट्रीट यानी टेस्टिंग को बढ़ावा देना, निगरानी रखने और इलाज पर ध्यान देने के साथ ही मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे सुरक्षा उपायों पर काम करने की जरूरत है.
सवाल- स्ट्रेन और वैरिएंट में क्या होते हैं?
जवाब- कोरोना वायरस को लेकर तीन शब्द’ वैरिएंट, म्यूटेंट और स्ट्रेन काफी सुने जा रहे हैं. इनमें तकनीकी फर्क है. डुप्लीकेशन प्रक्रिया के दौरान आरएनए वायरस कुछ एरर दिखाते हैं. इनसे नए वायरस सामने आते हैं. ये असम वायरस के समान होते हैं लेकिन बिलकुल उनके जैसे सटीक नहीं होते. आरएनए में इन एरर को म्यूटेशन कहते हैं. जिन वायरस में यह म्यूटेशन होती है उन्हें वैरियंट कहते हैं अगर कोई वैरिएंट उसके असल वायरस से हर मामले में अलग होता है तो उसे स्ट्रेन कहते हैं.
सवाल- कुछ विशेषज्ञों का दावा है कि दवाओं और वैक्सीन के प्रयोग के कारण म्यूटेशन हो रहे हैं?
जवाब- होस्ट इम्यूनिटी के दबाव के कारण वायरस में म्यूटेशन होते हैं. इसे हम इम्यून एस्केप वैरिएंट्स कहते हैं. यह नेचुरल इम्युनिटी या वैक्सीनेशन के कारण हो सकता है.
सवाल- म्यूटेशन और डबल म्यूटेशन का मौजूदा और भविष्य की वैक्सीन के लिए क्या तात्पर्य है?
जवाब- कोरोना वायरस संक्रमितों के नमूनों में पाए गए डबल म्यूटेशन (E484Q और L452R) असल में चिंता का विषय है, क्योंकि यह तेजी से फैलता है. ऐसा खासकर महाराष्ट्र में है. डबल म्यूटेशन इम्यून सिस्टम के लिए भी खतरनाक है. लेकिन एक ऐसा अध्ययन करने की जरूरत है, जिससे पता चल सके कि क्या असल एंटीबॉडी पैरेंटल स्ट्रेन पर प्रभावशाली है या नहीं.
सवाल- स्ट्रेन के कारण दुनिया में हर साल वैक्सीन को बदलना पड़ता है. क्या आपका लगता है कि कोरोना वैक्सीन को भी हर साल बदलना होगा?
जवाब- इस मामले में अभी कई काम करने की जरूरत है. यह हर साल आने वाले नए वैरिएंट के लक्षण पर निर्भर करता है. इसका सटीक उदाहरण है फ्लू वायरस. इसमें एच1एन1 एंटीबॉडी एच2एन1 हॉन्ग कॉन्ग को न्यूट्रिलाइज नहीं कर पाईं. क्योंकि दोनों अलग-अलग स्ट्रेन हैं. ऐसा माना जा रहा है कि कई और भी कोरोना वायरस के रूप जानवरों में हैं, जो भविष्य में इंसानों को नुकसान पहुंचाएंगे.
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