रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में कल 3 जुलाई को संपन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रदेश में गौण खनिज रेत खदानों का आबंटन अब जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किए जाने का निर्णय लिया गया है।
इसके क्रियान्वयन के संबंध में राज्य सरकार के खनिज विभाग द्वारा आज गाइड लाइन जारी कर दी है।पट्टा आवंटन के लिए अब रेत के खनन एवं लदान के लिए उच्चतम निर्धारित मूल्य (सीलिंग प्राईज) के विरूद्ध खदान स्थल पर न्यूनतम प्रति घनमीटर बोली (रिर्वस बीडिंग) के आधार पर पट्टेदार का चयन किया जाएगा।
पट्टे के निविदा अनुबंध की अवधि दो वर्ष की होगी, जिसे आवश्यकतानुसार एक वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकेगा।कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय समिति जिले में रेत खदानों की भौगोलिक स्थिति और रेत के परिवहन के लिए एक ही निकासी रास्ते के आधार पर पर्यावरण सम्मति प्राप्त खदानों के साथ लगी अन्य घोषित रेत खदानों के क्लस्टर का चिन्हांकन करेगी। क्लस्टर के लिए सीलिंग प्राईज का निर्धारण जिला स्तरीय समिति द्वारा किया जाएगा।
सीलिंग प्राईज और रिवर्स बीडिंग में प्राप्त न्यूनतम बोली की अंतर राशि पट्टेदार द्वारा नीलामी राशि के रूप में शासन को दिया जाएगा। वर्तमान में पंचायतों और नगरीय निकायों द्वारा संचालित रेत खदान न्यूनतम बोलीदार के नाम हस्तांतरण की जाएंगी।
उपभोक्ताओं को सुगमता से रेत उपलब्ध हो सके और रेत के अवैध परिवहन पर प्रभावी नियंत्रण हो सके इसके लिए रेत परिवहन करने वाले वाहनों और परिवहनकर्ताओं का विभागीय पोर्टल पर ऑनलाईन पंजीयन भी किया जाएगा। उचित दर पर रेत की उपलब्धता के लिये आवश्यकतानुसार परिवहन की दर का निर्धारण भी किया जाएगा।कम मात्रा में रेत का उपयोग करने वाले उपभोक्ता व्यापारियों के माध्यम से रेत प्राप्त कर सकेंगे। इसके लिए जिले में रेत के व्यवसाय के लिये व्यापारियों का ऑनलाईन पंजीयन विभागीय पोर्टल पर किया जाएगा।
पंचायत या नगरीय निकायों को रेत खदानों से पिछले 5 सालों में प्राप्त अधिकतम वार्षिक रायल्टी राशि में 25 प्रतिशत की वृद्धि कर समतुल्य राशि अगले वित्तीय वर्ष से प्रदान की जाएगी। रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन पर प्रभावी नियंत्रण के लिए जिला एवं संचालनालय स्तर पर विशेष उडऩदस्ते तैनात किए जाएंगे।
किसी वाहन को 3 बार से अधिक अवैध परिवहन करते पाए जाने पर उसे ऑनलाईन पंजीयन से अलग करते हुए उल्लंघनकर्ता के विरूद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।
राज्य सरकार द्वारा की गई इस व्यवस्था से न केवल नदियों एवं जल स्त्रोतों के पर्यावरणीय संरक्षण के साथ ही उपभोक्ताओं को सुगमता से उचित मूल्य पर रेत उपलब्ध हो सकेगी बल्कि शासन को रायल्टी के साथ डीएमएफ, पर्यावरण एवं अधोसंरचना उपकर सहित नीलामी राशि और पट्टों के अनुबंध निष्पादन से स्टाम्प ड्यूटी एवं पंजीयन शुल्क के रूप में अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति होगी।
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