
रायपुर। नई सरकार के गठन के साथ ही छत्तीसगढ़ विधानसभा में इस बार बदला-बदला नजारा देखने को मिलेगा। इस बार 39 विधायक ऐसे हैं, जो पहली बार संसदीय कार्य का हिस्सा बनेंगे। वहीं छत्तीसगढ़ विधानसभा में पिछले सत्र के मुकाबले इस बार ज्यादा शिक्षित विधायकों की संख्या देखने को मिलेगी।
पिछले सत्र 2013 में जहां पोस्ट ग्रेजुएट विधायकों की संख्या 31 थी तो इस वर्ष 2018 में ये आंकड़ा बढक़र 34 हो गया है। कुल 13 ग्रेजुएट प्रोफेशनल विधायक हैं। इतना ही नहीं, इस बार विधान परिषद पहुंचे विधायकों में 9 फीसदी तो डॉक्टर हैं। इनमें 3 एमबीबीएस, 4 बीएएमस तो 3 पीएचडी उपाधि वाले डॉक्टर शामिल हैं। वहीं 6 विधायक वकील और 4 विधायक इंजीनियर हैं। आपको बता दें कि इस वर्ष जीते भाजपा के 15 विधायकों में से सात विधायक पोस्ट ग्रेजुएट हैं।
छत्तीसगढ़ विधानसभा में 90 विधायकों में से डॉ. रेणु जोगी (कोटा), डॉ. प्रीतम राम (लुण्ड्रा) और डॉ. विनय जायसवाल (मनेन्द्रगढ़) एमबीबीएस तो डॉ. रमन सिंह (राजनांदगांव), डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी (मस्तूरी), डॉ. शिव डहरिया (आरंग) और डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम (प्रतापपुर) बीएएमएस डॉक्टर हैं। पीएचडी वाले विधायकों में डॉ. चरणदास महंत (सक्ती), डॉ. रश्मि आशीष सिंह (तखतपुर) और डॉ. लक्ष्मी ध्रुव (सिहावा) के नाम शामिल हैं।
अमितेश शुक्ल (राजिम), रविन्द्र चौबे (साजा), रश्मि सिंह, किस्मतलाल नंद (सरायपाली), धरमलाल कौशिक (बिल्हा) और नंनकीराम कंवर (रामपुर) एलएलबी यानी वकील हैं। इसी तरह इंजीनियर विधायकों में अजीत जोगी (मरवाही) शैलेष पांडेय (बिलासपुर), उमेश पटेल (खरसिया) और यूडी मिंज (कुनकुरी) हैं।
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