चाहे शहरी हो या ग्रामीण भूत-प्रेतों का डर तो हर किसी के जेहन में बराबर बना रहता है। पूरे विश्व में भूतों के डर से कई फ्लैट मकान और बंगले तक वीरान पड़े है। यहां तक कि लोग रात में श्मशान घाट के आसपास से ही गुजरना नहीं चाहते। यदि ऐसी नौबत आ भी जाए तो पूरी शक्तियां लगाकर जल्द ही वहां से निकलना चाहते हैं। ये तो हुई कुछ बातें…हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे श्मशान घाट के बारे में जहां श्मशान घाट में जरूरी कुछ निर्माण कार्यों के लिए 3 करोड़ का टेंडर तो हो गया पर भूतों के डर से कोई वहां काम ही नहीं करना चाहता था। पर श्मशान घाट का जीर्णाद्धार जरूरी था, लिहाजा विधायक ने अनोखी पहल करते हुए श्मशान घाट में डेरा डाल दिया। ये विधायक महोदय तीन दिन और रात वहीं जमे रहें और अंतत: उनकी पहल रंग लाई और श्मशान घाट का जीर्णोद्धार शुरू हो सका।
ये विधायक है आंध्र प्रदेश के पालाकोल के निम्माला रामानायडु। उन्होंने 22 जून से 24 जून तक की पूरी रातें वहां के श्मशान में बिताईं. रामानायडु ने वहां खाना भी खाया और पूरे दिन और रात वहीं रहे. ऐसा उन्होंने श्मशान में भूतों के अंधविश्वास को दूर करने के लिए किया. वो इसलिए कि भूतों के डर के मारे मजदूर यहां काम करने से मना कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि पालाकोल शहर में स्थित श्मशान की हालत बहुत खराब है। बारिश के दिनों में यह एकदम दलदल में बदल जाता है। इसके अलावा यहां न तो डेड बॉडी को रखने के लिए कोई ढंग का प्लेटफॉर्म है, न ही अंतिम संस्कार के बाद नहाने की सुविधा। पास में बहुत सारा कचरा पड़ा है जिसमें से बदबू आती रहती है। अंतिम संस्कार के लिए कोई दूसरी जगह नहीं है। ऐसे में इस जगह के सुधार के लिए राज्य सरकार से आठ महीने पहले तीन करोड़ रुपए पास करवाए। पैसे मिलने पर टेंडर निकाला गया, लेकिन वहां भूतों के अंधविश्वास के चलते दो बार किसी ने टेंडर ही नहीं भरा। तीसरी बार टेंडर निकालने पर एक ठेकेदार काम करने को राजी हुआ तो उसके मजदूरों ने डर से काम करने से मना कर दिया। इसलिए रामानायडु ने यह तय किया कि वो खुद रात को श्मशान में रुकेंगे और खाना भी वहीं खाएंगे। रामानायडु 22 जून को दिनभर श्मशान में बैठे रहे। वहीं से अपना सारा काम किया। फिर रात को वहीं अपनी चारपाई बिछाई और सो गए। अगले दिन उन्होंने कहा कि यहां भूत जैसा कुछ नहीं है।
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