पीपीएफ यानी पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) भारत में सबसे लोकप्रिय निवेशों में से एक है. इस खाते में सालाना 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स में छूट मिलती है. इससे प्राप्त ब्याज पर भी कोई टैक्स नहीं लगता है और मैच्योरिटी पर मिलने वाली रकम भी टैक्स के दायरे में नहीं आती है. इतने सारे बेनिफिट को देखते हुए लोग बैंक या पोस्ट ऑफिस में पीपीएफ खाता खुलवाते हैं.
PPF की मदद से लोग छोटे निवेश से भी बड़ी रकम जोड़ लेते हैं. यह निवेश की ऐसी योजना है, जो निवेश के अन्य विकल्पों से ज्यादा और गारंटीड रिटर्न देती है. घर खरीदने का सपना हो, कोई अच्छी और महंगी कार खरीदने का सपना हो या फिर परिवार के किसी भी सदस्य की विदेश में पढ़ाई, भव्य समारोह वगैरह करने का सपना हो, इसकी मदद से परिवार के बड़े सपने पूरे किए जा सकते हैं. लेकिन एक गलती से ये सारे सपने टूट सकते हैं.
आप न करें ये गलती, महज 7 दिन बचे हैं
दरअसल, पीपीएफ खाते में 15 साल की लॉक-इन अवधि होती है. PPF अकाउंट को एक्टिव यानी सक्रिय रखने के लिए किसी भी वित्तीय वर्ष में यानी 12 महीने में एक बार कम से कम 500 रुपये जमा करने होते हैं. समय पर जमा नहीं करने से खाता इनेक्टिव (Inactive) यानी निष्क्रिय हो जाता है.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, 15 साल के लंबे पीरियड के साथ कई लोग न्यूनतम आवश्यक राशि जमा करने में फेल हो जाते हैं तो ऐसे में उनके खातों को निष्क्रिय कर दिया जाता है. 31 मार्च को वर्तमान वित्तीय वर्ष 2020-21 खत्म होने को है. आज का दिन छोड़ दें तो आपके पास महज 7 दिन बचे हैं. अगर आपने PPF अकाउंट में इस वर्ष कोई राशि निवेश नहीं की है तो 31 मार्च तक जरूर रकम जमा कर दें.
प्रत्येक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम 500 रुपये जमा नहीं करने पर पीपीएफ खाते को ‘निष्क्रिय’ कर दिया जाता है. हालांकि PPF निवेश पर यह ब्याज अर्जित करता रहता है. लेकिन खाताधारी अपने पीपीएफ खाते के माध्यम से ऋण और अन्य लाभ नहीं उठा पाते हैं.
मैच्योरिटी पर आपके पास होते हैं 2 विकल्प
पीपीएफ खाते में 15 साल की लॉक-इन अवधि होती है. इसमें 15 साल से पहले पैसा नहीं निकाल सकते हैं. मैच्योरिटी पर निवेशक को दो विकल्प मिलते हैं:
1. खाते से पैसे को निकाल ले और खाता बंद कर दे.
2. पांच साल के ब्लॉक में खाते को चालू रखे.
अकाउंट बंद कराने की प्रक्रिया
अगर आप खाते को बंद करने का विकल्प चुनते हैं तो आपको उस बैंक की ब्रांच/पोस्ट ऑफिस जाना पड़ेगा जहां खाता खुला है. खाते में जमा पैसे को निकालने और इसे बंद करने के लिए एक लिखित आवेदन देना होगा. इसके लिए ओरिजनल पासबुक की जरूरत होगी.
उस बैंक खाते की डिटेल देनी होगी, जिसमें पैसे को ट्रांसफर कराना है. कैंसल किए हुए चेक के साथ पते और पहचान का प्रूफ अटैच करना होगा. खाते की लॉक-इन अवधि पूरी हो गई है कि नहीं, बैंक/पोस्ट ऑफिस इसे चेक करेगा. अगर ऐसा हो गया है तो खाते को बंद कर दिया जाएगा. मैच्योरिटी की रकम बताए गए बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी.
खाते को चालू भी रख सकते हैं
इस मामले में आपको खाते के मैच्योर होने के एक साल के भीतर एक निर्धारित फॉर्म में बैंक/पोस्ट ऑफिस को लिखित में सूचना देने की जरूरत होती है. आप बिना किसी नए कॉन्ट्रिब्यूशन के जमा रकम के साथ खाते को चालू रख सकते हैं.
दूसरा विकल्प यह है कि आप निवेश करते हुए ऐसे डिपॉजिट पर टैक्स डिडक्शन का फायदा उठाते रहें. मैच्योरिटी के बाद पांच साल का एक ब्लॉक पूरा हो जाने पर खाते को और पांच वर्ष के लिए चालू रखा जा सकता है. इस क्रम को जब तक चाहें चला सकते हैं. अकाउंट जब तक बंद नहीं किया जाता है, तब तक इससे ब्याज आय होती रहेगी.
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