सरकारी की ओर से जारी नए नियमों के मुताबिक, अब डिजिटल तौर पर जीवन प्रमाण पत्र यानी लाइफ सर्टिफिकेट पाने के लिए आधार को स्वैच्छिक बना दिया गया है.. इलेक्ट्रानिक्स और आईटी मंत्रालय की ओर से 18 मार्च को इस संबंध में अधिसूचना जारी हुई है. इसमें कहा गया है, ”जीवन प्रमाण के लिए आधार की प्रामाणिकता स्वैच्छिक आधार पर होगी.
नए नोटिफिकेशन में बताया गया है कि अब इंस्टेंट मैसेजिंग सॉल्यूशन एप ‘संदेश’ और सरकारी कार्यालयों में हाजिरी लगाने के लिए आधार ऑथेंटिकेशन को भी स्वैच्छिक कर दिया है.
अब क्या होगा- पेंशनर्स के लिए डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट की शुरुआत बुजुर्गों को राहत देने के लिए की गई थी. पेंशन लेने के लिए अपने जीवित होने का सबूत देने के लिए उन्हें लंबी यात्रा कर पेंशन वितरित करने वाली एजेंसी के समक्ष उपस्थित होना पड़ता था.
इसके बाद वो लोग जहां नौकरी करते रहे हैं वहां से उन्हें जीवन प्रमाणपत्र लाना होता था और उसे पेंशन वितरण एजेंसी के पास जमा कराना होता था. डिजिटल तरीके से जीवन प्रमाणपत्र जारी करने की सुविधा मिलने के बाद पेंशनरों को खुद संगठन या एजेंसी के समक्ष उपस्थित होने की अनिवार्यता से निजात मिल गया.
क्यों हुआ ये बदलाव कई पेंशनर्स ने इस मामले में शिकायत की कि आधार कार्ड नहीं होने की वजह से उन्हें पेंशन मिलने में कठिनाई उठानी पड़ रही है या उनके अंगूठे का निशान मेल नहीं खा रहा है. इसके लिए कुछ सरकारी संगठनों ने जहां 2018 में वैकल्पिक रास्ता निकाला था. वहीं, अब जारी अधिसूचना के जरिये आधार को डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र जारी करने के लिए स्वैच्छिक बना दिया गया है.
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