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आखिर पाक ने 50 करोड़ डॉलर का कर्ज क्यों लिया ? जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर

इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने इंडस्ट्रियल एंड कॉमर्शियल बैंक ऑफ चाइना (आईसीबीसी) से 500 मिलियन डॉलर का एक और विदेशी कर्ज लिया है, ताकि वह अपने घटते विदेशी मुद्रा भंडार को कुछ मजबूत कर सके। इसके पहले चीन के बैंक ने पाकिस्तान में पेमेंट सिचुएशन के बैलेंस को सपोर्ट करते हुए 1.3 अरब अमेरिकी डॉलर दिया था। एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के अनुसार, इस नए कर्ज करार के बाद चीन के वित्तीय संस्थानों का डॉलर के मुकाबले मजबूत रुपए को सहयोग सिर्फ तीन महीने में बढ़कर एक अरब डॉलर हो गया है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने वित्त मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से बताया कि सरकार ने 15 जनवरी को 4.5 फीसद की दर से कर्ज लिया है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा फंड की समाप्ति के बाद से यहां की विदेशी मुद्रा में 1.7 अरब डॉलर की गिरावट आई है। पिछले 3 साल में यह दूसरी बार है कि नवाज शरीफ सरकार ने किसी मित्र देश से विदेशी मुद्रा भंडार को लेकर मदद मांगी है। इससे पहले सऊदी अरब ने पाकिस्तान को 2014 में 1.5 अरब डॉलर का तोहफा दिया था। चीन से कर्ज लेने के मामले पर वित्त मंत्री इशाक डार, वित्त सचिव तारिक बाजवा, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के गर्वनर अशरफ वाथरा ने बैठक की। चीन के यह राशि देते ही पाकिस्तान को उसकी कुल मदद 1 अरब 30 करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगी। पाकिस्तान अपनी आधिकारिक विदेशी मुद्रा को बरकरार रखने के लिए संघर्षरत है, जो पिछले 3 वर्षों के दौरान विदेशी कर्ज की वजह से हो गए हैं। चीन सबसे बड़ा कर्जदाता है, जिसने अब तक कुल 1.6 बिलियन डॉलर का कर्ज दिया है और यह पिछले सात महीनों में पाकिस्तान को मिले कुल विदेशी कर्ज का एक चौथाई है।

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