छत्तीसगढ़ट्रेंडिंगस्लाइडर

मरीज बचाने के लिए हाईवे खाली कराया… ग्रीन कॉरिडोर बनाकर 32 मिनट में तय की रायपुर-भिलाई की 32 किलोमीटर की दूरी… हार्ट पेशेंट को निजी अस्पताल में शिफ्ट किया…

छत्तीसगढ़ की दुर्ग पुलिस ने ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पुलिस और हेल्थ डिपार्टमेंट ने एक मरीज की जान बचाई है। यह पहला मौका नहीं है, जब दुर्ग पुलिस ने ग्रीन कॉरिडोर बनाकर किसी की जान बचाई हो। इससे पहले भी रायपुर या अन्य शहरों तक मरीज को रेफर करने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है। इस बार बी.एम.शाह हॉस्पिटल शास्त्री नगर भिलाई से राम कृष्ण केयर हॉस्पिटल रायपुर तक मरीज को पहुंचाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया।

हॉस्पिटल में भर्ती मरीज के लिए बनाया ग्रीन कॉरिडोर
अमूमन भिलाई से रायपुर तक का सफर तय करने में एक से डेढ़ घंटे का समय लगता है। ऐसे में पुलिस ने ग्रीन कॉरिडोर बनाकर 35 किलोमीटर के इस सफर को 32 मिनट में तय किया। बी.एम.शाह हॉस्पिटल शास्त्री नगर भिलाई से प्रसन्ना जैन (32 वर्ष) का इलाज चल रहा था, लेकिन वहां स्वास्थ्य सुधार न होने पर ऐम्बुलेंस के माध्यम से राम कृष्ण केयर हॉस्पिटल रायपुर भेजा गया है। प्रसन्ना को दिल की बीमारी के साथ न्यूरो प्राब्लम भी हो रही थी। अचानक उनकी तबीयत बिगड़ी और डाक्टरों ने उन्हें बेहतर इलाज के लिए रायपुर ले जाने की सलाह दी। चैलेंज था कि क्रिटिकल कंडिशन में मरीज को सही सलामत कैसे रायपुर पहुंचाया जाए। हेल्थ डिपार्टमेंट और पुलिस विभाग को इसकी जानकारी दी गई और ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया।

हाल ही में पांचवी बार बना ग्रीन कॉरिडोर
दुर्ग-भिलाई से रायपुर के बीच मरीजों को बचाने के लिए लगातार ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं। पिछले 2 माह में पांचवी बार इस तरह हाइवे खाली करवा कर मरीजों को बड़े अस्पताल शिफ्ट किया गया है। इसमें पूर्व सांसद ताराचंद साहू के पुत्र दीपक साहू भी शामिल थे। इसके साथ ही एक 4 साल के बच्चे को भी इसी तरह शिफ्ट किया गया था। नागरिक स्वास्थ्य विभाग और पुलिस के इस समन्वय की तारीफ कर रहे हैं।

क्या होता है ग्रीन कॉरिडोर
ग्रीन कॉरिडोर एक निश्चित समय के लिए मार्ग को किसी मरीज के लिए खाली कराना या ट्रैफिक कंट्रोल करने को कहते हैं। इसे मेडिकल इमरजेंसी जैसे कि आर्गन ट्रांसप्लांट या मरीज की क्रिटिकल स्थिति को देखते हुए बनाया जाता है। इसमें दो जिले या दो शहरों की पुलिस मिलकर मरीज को एक हॉस्पिटल से दूसरे हॉस्पिटल तेज रफ्तार एंबुलेंस में ट्रांसफर करती है। इसके तहत हॉस्पिटल पहुंचाने के लिए रास्ते पर आने वाले ट्रैफिक को 60-70 प्रतिशत तक कम करने की कोशिश करती है। जिससे मरीज जल्द से जल्द पहुंच सके।

Back to top button
close