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मुंह से सांस लेने को मजबूर युवक का डीकेएस में हुआ इलाज…चिकित्सकों ने दी नई जिंदगी

रायपुर । डीकेएस अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर के प्लास्टिक सर्जरी विभाग ने एक युवक नई जिंदगी दी हैं। 25 साल के एक ऐसे युवक की सर्जरी की गी है जिसके नाक के छेद पूरी तरह से बंद थे। बताया गया है कि जितेंद्र (परिवर्तित नाम) जब 21 साल का था तब घर में हुए एक एक्सीडेंट में वो गैस से पूरी तरह से जल गया ।

25 जनवरी 2015 को हुए इस हादसे के बाद स्वस्थ लड़के की जिंदगी पूरी तरह बदल गई। घटना में मुंह के साथ ही उसके दोनों हाथ जल गए इतना ही नहीं होंठ के उपर का हिस्सा नाक से जुड़ गया और उसकी नाक के दोनों छेद पूरी तरह से बंद हो गए। जिसके बाद जितेंद्र को सिर्फ मुंह से सांस लेने पड़ रहा था। लगभग 4 साल तक इस परेशानी से जूझने के बाद लड़के ने एक प्राइवेट अस्पताल में नाक की सर्जरी करवाई।



जिसके बाद 15 दिन के लिए उसकी नाक खुली तो, लेकिन उसके बाद छेद फिर से बंद हो गए। जनवरी 2019 को जितेंदने डीकेएस में प्लास्टिक सर्जरी एवं बर्न की ओपीडी में आकर डॉ. शाह को दिखाया। विभागाध्यक्ष डॉ. दक्षेश शाह ने अपनी टीम के साथ मिलकर जितेंद्रकी सर्जरी करने का निर्णय किया।

सर्जरी के बाद अब युवक अपनी नाक से सांस लेने ले रहा हैं। डॉ. शाह के अनुसार अब जितेंद्र को कुछ एक्सरसाइज करनी होंगी जिससे की और बेहतर रिजल्ट मिल सके। इस संबंध में चिकित्सक ने बताया की माने तो हमेशा मुंह से सांस लेने से इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है।

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मुंह से खाना खाना और साथ-साथ सांस लेने से दिक्कत होती है। क्योंकि खाना अगर गले में या सांस की नली में फंस गया तो उस स्थिति में जान का भी खतरा हो सकता है। मुंह से सांस लेने पर एलर्जी और लंग्स में इंफेक्शन हो सकता है।

नाक में रुकावट आने से सांस लेने में दिक्कत होती है। मजबूरन मुंह से सांस लेने पर कई पार्टिकल्स गले के जरिए लंग्स तक चले जाते हैं। इससे लंग्स में इंफेक्शन का खतरा रहता है। इंफेक्शन का पहला लक्षण खांसी होना है।

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