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छत्तीसगढ़ : मकर संक्रांति इस बार 14 जनवरी को नहीं…तो कब मनाई जाएगी…देखें क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य…

रायपुर। भगवान मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के ननिहाल में मां कौशल्या की धरा है छत्तीसगढ़। सूर्य सिद्धांत के उपर पृथ्वी, सूर्य एवं नौ ग्रहों की गति से ज्योतिष गणना के जरिए जातकों का भविष्य बताया जाता है। लगातार कुछ वर्षों से मकर संक्रांति 14 जनवरी के बजाए 15 जनवरी को मनाई जा रही है, इसका मूल कारण सूर्य की गति में परिवर्तन है।

वर्तमान समय में लोगों की ज्योतिष भ्रांति दूर करने के लिए ज्योतिष की सही जानकारी उपलब्ध कराना जरूरी है। उक्ताशय के विचार नक्षत्र ज्योतिष संस्थान द्वारा निरंजन धर्मशाला में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन में दिल्ली से आए आचार्य डीपी शास्त्री ज्योतिषाचार्य ज्योतिष विभूषण एवं मेडिकल एस्ट्रोलाजिस्ट ने व्यक्त किए।

सम्मेलन में देश-विदेश के ज्योतिषी आए हुए हैं। संचालक एवं आयोजक डॉ. अजय भांभी, डॉ. चन्द्रमणि उपाध्याय एवं अन्य ज्योतिषियों ने राष्ट्रनीति व्यापार से लाभ विद्या के लिए ग्रहों से मार्गदर्शन उपस्थितजनों को दिया।



जानकारी देते हुए शास्त्री ने बताया कि ज्योतिषियों द्वारा सम्मेलन में नारद संहिता, भृगु संहिता, पराशर शास्त्र के लिखित मंत्रों से जीवन में उन्नति, लाभ का मार्ग, राष्ट्र का कल्याण के मार्ग प्रशस्त होने पर विशेष चर्चा की गई। शास्त्री ने बताया कि ज्योतिष में नक्षत्र एवं लग्र का विशेष योगदान है।

सर्व ज्योतिषियों को सही काल की गणना करके जातक का भविष्य बताना चाहिए। समाज के अच्छे कार्य करने चाहिए। सूर्य सिद्धांत से राशि की गणना करना चाहिए। सर्व ज्योतिषी सर्वसम्मत प्रणाली से गणना करें। भविष्य में ज्योतिषियों की एक राय हो और पंचांग का नवनिर्माणकर्ता एक साथ हों।

वृत त्यौहार के जरिए धर्म का मार्ग प्रशस्त हो। सनातन धर्म में अच्छी बातों को ग्रहण कर भ्रांति से लोगों को बचाने पर भी सम्मेलन विस्तार से चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि ज्योतिष साफ्टवेयर का निर्माण करने वाले लोग शास्त्र सम्मत विचार करके वेदों द्वारा निर्धारित सिद्धांतों का पालन करें।
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आम लोगों के मनमें ज्योतिष को लेकर जो भ्रांति है उसे दूर करने पर भी सम्मेलन में विचार किया गया। सम्मेलन में ज्योतिषियों ने संकल्प लिया कि वे राष्ट्र के नव निर्माण में धर्म के अनुकुल कार्य करने का संकल्प लिये हैं। ऋषियों की बनाई परंपरा का सबको पालन करना चाहिए।

सामाजिक स्तर पर शोषण करने वाले लोगों का कड़ा विरोध किया जाए। शास्त्री ने कहा कि भारत भूमि देवताओं और ऋषियों की भूमि है। वेदांत के छह अंग हैं जिसमें ज्योतिष को नेत्र कहा गया है। मेडिकल क्षेत्र में शास्त्री ने हजारों शोध की और इस नतीजे पर पहुंचे की काल की घटना संचित कर्म से प्रारब्ध कर्म से जुड़ी हुई है।



क्रियमाण कर्म के द्वारा जीवन को सफल बनाया जा सकता है जिसमें चारों युग में ज्योतिष का विशेष योगदान रहा है। उन्होंने अपने बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 20 वर्ष से वे ज्योतिष विद्या में लीन हैं।

काशी से उन्होंने ज्योतिष विद्या के जरिए लोगों का कल्याण करना शुरू किया था। इसके अलावा वे लाल बहादुर शास्त्री एकेडमी के साथ ही भारतीय ज्योतिष संस्थान में जानकारी लेकर जातकों का भला करते रहे हैं।

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