खेलों में सट्टेबाजी वैध हुई तो होगा यह फायदा?

नई दिल्ली। वर्ष 2013 में जब जस्टिस मुकुल मुदगल आईपीएल में सट्टेबाजी और फिक्सिंग के मामलों की जांच कर रहे थे। इसके बाद जब सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश एलएम लोढ़ा को बीसीसीआई के ढांचे में पारदर्शिता और बेहतरी के लिए सुझाव देने को कहा था, तब जस्टिस लोढ़ा ने भी सट्टेबाजी को लीगल करने की पैरवी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने जब काले धन की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेटिव टीम गठित की थी, तो उसने भी ऐसा ही सुझाव दिया था। इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल भी चाहता है कि भारत में क्रिकेट सट्टेबाजी को लीगल दायरे में लाया जाना चाहिए।
देशभर क्रिकेट सट्टेबाजी से लेकर कई कारोबार काले धन से फलफूल रहे हैं। ऐसी ही समस्या कुछ सालों पहले दूसरे देशों में आई थी। उनमें कई देशों ने खेलों में सट्टेबाजी के अवैध कारोबार को रोकने के लिए इसे कानूनी जामा पहनाकर वैध कर दिया, जिससे न केवल सट्टेबाजी कानूनी होकर संरचनाबद्ध हो गई, बल्कि काले धन के इस्तेमाल पर भी कुछ हद तक रोक लगी. फिर राष्ट्र को टैक्स के रूप में खासा धन भी मिलने लगा।
क्या इससे अंडरवल्र्ड की कमर टूटेगी
आमतौर खेलों में अवैध सट्टेबाजी के काम में अंडरवल्र्ड का भागीदारी होती है। दिल्ली में इस मुद्दे पर एक सेमिनार भी हुआ था। जिसमें यह बात निकलकर सामने आई थी कि अगर सट्टेबाजी को अंडरवल्र्ड और माफिया से बचाना है। साथ ही सकारात्मक दिशा देनी है तो इसे वैधानिक कर देना चाहिए। अगर ऐसा हो गया तो सरकार के पास टैक्स के रूप में इतना धन आयेगा कि खेल ही नहीं कई ढांचों को मुकम्मल रूप दिया जा सकेगा। तब निश्चित तौर पर अंडरवल्र्ड की कमर टूटेगी। भारत का सट्टा बाजार दस लाख करोड़ या इससे अधिक का है। जिसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
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