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भारतीयों को चाहिए बेटी, दलित, मुस्लिम, आदिवासी सबसे आगे, यूपी-बिहार में चाहिए बेटा

दिल्ली। नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे के एक सर्वे के मुताबिक 15 से 49 साल उम्र की 79 फीसदी महिलाएं और 15 से 54 साल उम्र के 78 प्रतिशत पुरुष अपने परिवार में कम से कम एक बेटी की चाहत है।
बेटियों की चाहत रखने वालों में धार्मिक और जातीय समुदायों में दलित, आदिवासी और मुस्लिम सबसे आगे हैं हालांकि बेटों की चाहत रखने में यूपी-बिहार अब भी सबसे आगे हैं।

क्या कहता है सर्वे
सर्वे के मुताबिक गरीबी रेखा से नीचे आने वाले तबके और निम्न मध्वर्गीय परिवारों की 86 फीसदी महिलाएं और 85 प्रतिशत पुरुष बेटियों के जन्म को लेकर सबसे ज्यादा सहज और उत्साहित हैं। मुस्लिम, दलित और आदिवासी समुदायों के परिवारों ने बाकी समुदायों के मुकाबले बेटी के पैदा होने को तवज्जो दी है। इन तीनों समुदायों की महिलाएं भी घर में बेटी की पैदाइश को बेहद जरूरी मानती हैं।

गांव की महिलाएं चाहती हैं बेटियां
2005-06 के सर्वे से तुलना की जाए तो गांव की महिलाओं ने बेटी चाहने के मामले में शहर की महिलाओं को भी पीछे छोड़ दिया है। पुराने सर्वे में 74 प्रतिशत शहरी, जबकि 65 फीसदी ग्रामीण इलाके की महिलाओं ने बेटी की इच्छा जाहिर की थी। हालांकि इस सर्वे में ये आंकड़ा बदल कर 81 प्रतिशत ग्रामीण जबकि 75 फीसदी शहरी महिलाओं में तब्दील हो गया है। बेटी की चाहत पर शिक्षा के स्तर का भी सीधा-सीधा असर देखने को मिला है. 12वीं पास 85 फीसदी महिलाओं ने बेटी पैदा होने को जरूरी माना है, जबकि इससे कम शिक्षित 72 प्रतिशत महिलाएं बेटी को जरूरी मानती हैं।

पुरुष भी चाहते हैं घर में बेटियां
सर्वे के मुताबिक 80 फीसदी ग्रामीण पुरुष जबकि 75 प्रतिशत शहरी पुरुष घर में बेटी को जरूरी मानते हैं। हालांकि 74 प्रतिशत पढ़े-लिखे पुरुषों ने जबकि 83 फीसदी कम शिक्षित पुरुषों ने बेटियों को पहली पसंद बताया है।

मुस्लिम, दलित सबसे आगे
करीब 81 फीसदी मुसलमान परिवारों ने घर में बेटियों का होना बेहद ज़रूरी माना है। 79 प्रतिशत बुद्धिस्ट और 79 फीसदी हिंदू महिलाओं का मानना है कि घर में कम से कम एक बेटी होनी चाहिए। जातीय समुदाय की बात करें तो 81 प्रतिशथ दलित और 81 फीसदी आदिवासी, जबकि 80 प्रतिशत ओबीसी परिवारों की महिलाओं ने बेटी की चाहत जाहिर की है। 84 फीसदी आदिवासी पुरुष और 79 प्रतिशत दलित पुरुष भी बेटी चाहते हैं।

सिर्फ बेटा या सिर्फ बेटी!
सर्वे में सामने आया है कि 19 फीसदी महिलाएं ऐसी भी हैं जो बेटों को बेटियों पर तरजीह देती हैं, जबकि सिर्फ 3.5 फीसदी महिलाओं ने कहा कि उन्हें सिर्फ बेटियां चाहिए। हालांकि बिहार की 37 प्रतिशत, जबकि यूपी की 31 फीसदी महिलाएं अब भी बेटों को बेटियों से ज्यादा जरूरी समझती हैं।

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