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VIDEO: छत्तीसगढ़: झमाझम बारिश…राजधानी की सड़कें तलाब में तब्दील…निचली बस्तियों में भरा पानी…किसानों के चेहरे खिले…

रायपुर। राजधानी सहित प्रदेश भर में बीती रात से रूक-रूककर हो रही बारिश ने शुक्रवार को सुबह जोर पकड़ा। करीब एक-डेढ़ घंटे तक हुई झमाझम बारिश से राजधानी तरबतर हो गई और निचले इलाकों में जलभराव हो गया।

इसके चलते आम जनजीवन बुरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। सुबह स्कूल-कॉलेजों एवं कामकाज के लिए निकले लोगों को भारी बारिश का सामना करना पड़ा।

वहीं भारी बारिश के चलते शहर के अधिकांश इलाकों में विशेषकर निचली बस्ती क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति के चलते घर में रखे सामान पानी में तैरते नजर आए। वहीं बारिश के चलते शहर की सड़कें पानी में डूब गईं। झमाझम बारिश होने से किसानों के चेहर पर भी मुस्कान आ गई है।



सुबह छाए अंधेरे के कारण चौपहिया एवं दोपहिया वाहन चालक दिन में लाइट जलाते हुए आते जाते दिखे। ज्ञातव्य है कि मानसूनी बारिश राजधानी के आसपास के जिलों में अधिक मात्रा में हुई जबकि शहर में यह पहली मानसूनी बारिश है जिसके चलते शहर के अधिकांश इलाकों में जलभराव की स्थिति पैदा हुई।

मौसम विभाग ने कल जारी यलो अलर्ट के माध्यम से यह पहले ही बता दिया था कि राजधानी रायपुर सहित बलौदाबाजार और कुछ अन्य जिलों में एक-दो स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। मौसम विभाग द्वारा जारी पूर्वानुमान सही साबित हुआ और रात 9 बजे से ही शहर में मौसम का मिजाज बदलने लगा था।

रात में 10 बजे के आसपास हल्की बारिश शुरू हुई और इसके बाद रात 12 बजे तक रूक-रूककर बारिश होती रही। इधर आज सुबह आसमान में छाए बादल घने होते गए और सुबह 7.30 बजे तक आसमान में छाए बादल इतने घने हो गए कि वाहनों की लाइटें जल उठी और दिन में भी धुप्प अंधेरा छा गया।
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मौसम के इस रौद्र रूप को देख अधिकांश लोग घरों में ही दुबके रहे। इसके बाद सुबह करीब 8 बजे से झमाझम बारिश का दौर शुरू हुआ जो कि सुबह 11.30 बजे तक अनवरत जारी रहा। शहर में इस पूरे सीजन में इस तरह की बारिश पहली बार हुई है।

लगातार हुई मूसलाधार बारिश से शहर जहां तरबतर हो गया तो वहीं शहर के निचले इलाकों में जलभराव की समस्या खड़ी हो गई है। शहर के प्रोफेसर कॉलोनी, कुशालपुर, रिंग रोड के निचले इलाकों के साथ ही इंद्रप्रस्थ आरडीए कॉलोनी, डीपरापारा, कुंदरापारा जैसी बस्तियों में झमाझम बारिश मुसीबत लेकर पहुंचा।



जोरदार बारिश के बीच बस्ती में जलभराव होते ही नागरिक जल निकासी को लेकर सहज हुए, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। इन इलाकों में तथा बस्तियों में बारिश थमने के बाद घुटने तक पानी जमा हो चुका था।


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