जैसे- जैसे नए सिक्के मार्केट में आ रहे हैं, उनका आकार कम होता जा रहा है. क्या आपने कभी सोचा है इसके पीछे की क्या वजह है। नहीं ना तो चलिए जानते हैं सिक्कों के बारे में ये खास बातें…
10 रुपये के सिक्के में आउटर रिंग 75 फीसदी कॉपर, 20 फीसदी जिंक और 5 फीसदी रासायनिक तत्व निकल होता है. जबकि अंदर की डिस्क में 65 फीसदी कॉपर, 15 फीसदी जिंक और 20 फीसदी रासायनिक तत्व निकल होता है।
20 के सिक्के पर अनाज के निशान होंगे जो देश में कृषि क्षेत्र की प्रधानता को इंगित करेंगे। वित्त मंत्रालय का कहना है कि करेंसी नोट की तुलना में सिक्कों की लाइफ ज्यादा होती है और लंबी अवधि तक ये चलन में बने रहते हैं।
किसी भी सिक्के की 2 वैल्यू होती है। पहली फेस वैल्यू वहीं दूसरी मेटलिक वैल्यूसिक्के पर लिखी गई रकम को को फेस वैल्य कहते है. जैसे अगर सिक्के पर 1, 2, 5, 10 या 20 लिखा है तो वह सिक्के की फेस वैल्यू है।
वहीं मेटलिक वैल्यू का अर्थ है कि अगर कोई सिक्का पिघलाया जाता है और उसकी धातु 5 रुपये में बाजार में बेची जाती है तो 5 रुपये को सिक्के को मेटलिक वैल्यू कहा जाएगा।
सिक्कों को आकार इसलिए घटता जा रहा है क्योंकि भारत सरकार सिक्कों को बनाने में इस बात का खास ध्यान रखती है कि किसी सिक्के की मेटलिक वैल्यू उसकी फेस वैल्यू से कम ही होनी चाहिए।
अगर ऐसा नहीं होता है, तो कोई भी सिक्के को पिघलाकर उसकी धातु बनाकर बेच सकता है। इसलिए भारत सरकार मार्केट में सिक्कों की उपलब्धता बनाए रखने के लिए सिक्के का आकार घटा रही है. साथ ही सिक्कों के निर्माण में सस्ती धातु का इस्तेमाल किया करती है।
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