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एशिया के सबसे पुराने सागौन वृक्ष ‘भरत’ का टूटा दम

जगदलपुर। स्थानीय माचकोट वन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले तोलावाड़ा वन परिक्षेत्र में अभी तक खड़े रहे भरत नाम के प्राचीन सागौन के वृक्ष ने अपना दम तोड़ दिया है और उसकी इहलीला समाप्त हो गई है।
जानकारी के अनुसार इस परिक्षेत्र में एक स्थान पर राम- लक्षमण,भरत और शत्रुघन नाम के चार पुराने सागौन के वृक्ष उपस्थित थे। जिन्हें ग्रामीण उक्त नाम से बुलाते थे। लेकिन अब भरत नाम का सागौन का वृक्ष सूख चुका हैं और केवल राम,लक्षमण, शत्रुघन ही जीवित है। इन वृक्षों को देखने के लिए अभी भी अधिकांश से लोग दूर-दूर से आते हैं। ये चारों ही वृक्ष एशिया के सबसे पुराने सागौन के वृक्ष माने जाते हैं।
इन सागौन के वृक्षों को पुरातात्विक धरोहर बनाने की भी प्रक्रिया जारी हैं। भरत नाम के सूख चुके सागौन के वृक्ष को रसयनिक उपचार के दौरान बचाने की पूरी कोशिश की गई। लेकिन इसे बचाया नहीं जा सका। स्थानीय एक विशेषज्ञ ने बताया कि चूंकि इस वृक्ष की आयु पूरी हो चुकी थी और सागौन वृक्ष केवल दौ सौ साल तक ही जीवित रहते हैं। इसलिए इन वृक्षों के सूखने का क्रम जारी हैं। इन वृक्षों ने अभी तक कम से कम तीन सौ साल तक की आयु पूरी कर ली हैं, और राम, लक्षमण और शत्रुघन आज भी अच्छी हालत में हैं। ये भी उल्लेखनीय है कि ये वृक्ष अभी जिस जगह पर खड़े हैं उसके पास से ही उड़ीसा की सीमा लगती हैं, और यहां के तस्करों के द्वारा लकड़ी के लिए छत्तीसगढ़ में आकर अवैध कटाई की जाती हैं।

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