नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए और बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए के बीच सीधा मुकाबला होगा। हालांकि देश की तकरीबन आधी लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इन दोनों दलों और गठबंधन के अलावा तीसरी ताकत के रूप में भी विकल्प मौजूद है, जो नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी दोनों के खिलाफ मजबूती से खड़े होंगे। देश में करीब 221 संसदीय सीट हैं, जहां भाजपा-कांग्रेस दोनों ही पार्टियों को मुकाबला करना होगा। यहां त्रिकोणीय मुकाबला होता दिख रहा है। 543 लोकसभा सीटों में से उत्तर प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, जम्मू-कश्मीर और दिल्ली सहित आठ राज्यों की 221 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस और बीजेपी की सीधी लड़ाई तीसरे मोर्च के क्षत्रपों से होगी।
उत्तरप्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन
भाजपा के विजयरथ को रोकने और खुद का वजूद बचाने के लिए सपा-बसपा ने गठबंधन किया है। राज्य की 80 लोकसभा सीटों पर सपा-बसपा ने राष्ट्रीय लोक दल और निषाद पार्टी से हाथ मिलाया है। महान दल और पीस पार्टी से कांग्रेस गठबंधन की जुगत में है। बीजेपी का ओम प्रकाश राजभर और अपना दल के साथ गठबंधन है। इस तरह से सूबे की सियासी लड़ाई त्रिकोणीय होती दिख रही है।
बंगाल में चार दलों में घमासान
पश्चिम बंगाल में अभी तक किसी भी दल का कोई गठबंधन नहीं हुआ है, जबकि राज्य में टीएमसी, बीजेपी, कांग्रेस और वामपंथी दल हैं। ममता के साथ लेफ्ट और कांग्रेस नहीं जाना चाहते। प्रदेश की 42 लोकसभा सीटों के लिए चार प्रमुख पार्टियों के बीच मुकाबला होता दिख रहा है। अभी तक स्थिति पर में ममता बनर्जी की टीएमसी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है। वहीं भाजपा को इस बार बंगाल में फायदा होता दिख रहा है। हो सकता है वह दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर यहां उभरे।
केरल में यूडीएफ-एलडीएफ और बीजेपी
दक्षिण भारत के केरल की सियासी लड़ाई कांग्रेस नेतृत्व वाले यूडीएफ और लेफ्ट की अगुवाई वाली एलडीएफ के बीच तीसरी ताकत के रूप में बीजेपी गठबंधन भी उभरा है। सबरीमाला और संघ कार्यकर्ताओं की हत्या को लेकर बीजेपी लगातार केरल में संघर्ष कर रही है। ऐसे में केरल की 20 सीटों पर लेफ्ट और कांग्रेस के साथ-साथ बीजेपी भी मुख्य मुकाबले में दिख रही है।
आंध्र प्रदेश की लड़ाई दिलचस्प
आंध्र प्रदेश की 25 सीटों पर बीजेपी, कांग्रेस, टीडीपी और जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस के बीच मुकाबला है। सूबे में किसी भी दल का किसी भी पार्टी के साथ कोई गठबंधन नहीं है। सूबे में मुख्य मुकाबला जगन मोहन रेड्डी और चंद्रबाबू नायडू की पार्टी के बीच है। यहां कांग्रेस और बीजेपी दोनों राष्ट्रीय पार्टियां अपना वजूद बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है।
ओडिशा में कांग्रेस-बीजेपी-बीजेडी
ओडिशा में 21 लोकसभा सीटों में कांग्रेस, बीजेपी और बीजेडी के बीच मुकाबला होगा। प्रदेश में किसी भी पार्टी का कोई गठबंधन नहीं है। हालांकि यहां तीसरे ताकत के रूप में बीजेडी प्रमुख और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक हैं। बीजेडी शुरू से ही गैर-कांग्रेसी और बीजेपी दलों के साथ गठबंधन की बात करती रही है, लेकिन वो किसी भी गठबंधन का हिस्सा फिलहाल नहीं है।
तेलंगाना की केसीआर
तेलंगाना की 17 लोकसभा सीटों में मुख्य लड़ाई टीआरएस, कांग्रेस और बीजेपी के बीच होगा। इस तरह से राज्य में तीसरी ताकत के रूप में केसीआर हैं, जो लंबे समय से गैर-बीजेपी और गैर कांग्रेसी गठबंधन को लेकर देश के अलग-अलग दलों के साथ मुलाकात कर चुके हैं, लेकिन वो इसे अमलीजामा नहीं पहना सके हैं।
दिल्ली में आप
दिल्ली में 7 लोकसभा सीटें है। राज्य में कांग्रेस, बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच मुख्य मुकाबला होगा। दिल्ली में किसी भी दल का कोई गठबंधन नहीं है, ये सभी अकेले-अकेले चुनाव में उतर रहे हैं। हालांकि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की बात हो रही थी, लेकिन बात नहीं बन पाई।
जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस
जम्मू-कश्मीर में 5 लोकसभा सीटें हैं। सूबे में चार दल प्रमुख रूप से हैं, जिनमें कांग्रेस, बीजेपी, नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी है। माना जा रहा है कि कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेस मिलकर चुनावी मैदान में उतरेंगे। ऐसे में बीजेपी, पीडीपी और कांग्रेस-नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन के बीच मुख्य मुकाबला होगा।
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