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डॉ. वीके पॉल: विज्ञान और तकनीक से जीती जाएगी कोरोना से अंतिम लड़ाई…

देश में कोरोना वायरस की स्थिति व इसके परीक्षण के लिए दवाओं, टीकों (वैक्सीन) और प्रौद्योगिकी के विकास पर प्रेस वार्ता हुई। इस दौरान नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा कि कोरोना वायरस से लड़ाई वैक्सीन और दवाई से ही जीती जा सकेगी। हमारे देश की विज्ञान और तकनीकी संस्थान बहुत मजबूत हैं।

उन्होंने कहा, हमारे देश का विज्ञान आधार और फार्मा इंडस्ट्री, दोनों बहुत मजबूत हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद हमने आधार बहुत मजबूत किया है। उन्होंने कहा कि देश की फार्मा इंडस्ट्री को फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड कहा जाता है। हमारे यहां बनाई गई कई वैक्सीन दवाएं सारे विश्व में जाती हैं और जान बचाती हैं।

डॉ. वीके पॉल ने कहा, हम रिसर्च व डेवलेपमेंट करते हुए नई ईजादें करने में लगे हैं। जब प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित किया था तो आह्वान किया था कि आप साइंस सॉल्यूशन ढूंढें ।देश के वैज्ञानिकों से कहा था कि इसमें आप आगे बढ़ें, ये देश के लिए नहीं बल्कि मानवता के लिए है।

वहीं, सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. के विजय राघवन ने कहा कि हमें समझना होगा कि वैक्सीन कैसे काम करता है, इसे बनने में कितना समय लगता है और उसका वितरण कैसे होता है। जब वायरस हमारे शरीर में आता है तो एंटीबॉडी उसके खिलाफ लड़ती है।

लेकिन वायरस के ज्यादा मडबूत होने के चलते एंटीबॉडी धीमी पड़ जाती है।  उन्होंने कहा कि वैक्सीन हमारे इम्यून सिस्टम को वायरस से लड़ने के लिए तैयार करती है। वैक्सीन की क्वालिटी और सेफ्टी बहुत जरूरी है।
कर सकते हैं हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल, डॉ. पॉल ने कहा कि इस दवा के ऊपर दुनिया भर में काम चल रहा है।

जब हम इसे देखते हैं और मलेरिया में इसके इस्तेमाल को देखते हैं। इसके साइड इफेक्ट भी कम हैं। इसमें रिसर्च होती रहेगी। कोरोना एक नया वायरस है तो हम सीख रहे हैं। जब भी हमने दवा को ध्यान से देखा है, वैज्ञानिकों से बात की है, यह वायरस के प्रवेश को रोकता है ये सब जानते हैं।

इसे लेकर जो भी अनुभव रहा है वह यह है कि इस समय इसके बारे में जो गाइडलाइंस हैं, कि फ्रंटलाइन वर्कर्स को थोड़े प्रिकॉशन्स के साथ यह दवा दी जा सकती है। लेकिन जैसे-जैसे इसके बारे में पता चलेगा। लेकिन तब तक हमारा मानना है कि दिशा-निर्देशों के मुताबिक इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

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