राजनांदगांव: जंगलों एवं पहाड़ों में बिखरी नैसर्गिक मनोरम छटा, उल्लास भरे चेहरे बयां कर रहे खुशियां… शासन ले रही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर वनवासियों से लघुवनोपज… आजीविका का बना साधन…

राजनांदगांव। जंगलों एवं पहाड़ों की नैसर्गिक छटा मनोरम है। दूरस्थ ग्रामों में वनवासियों के उल्लास भरे चेहरे उनकी खुशी बयां कर रही है। जैवविवधिता से भरपूर इन जंगलों में किस्म-किस्म के फल-फूल और औषधीय वृक्ष है। अभी लघुवनोपज संग्रहण का कार्य अपनी चरम पर है और शासन की ओर से ग्रामीण आदिवासी संग्राहकों को पर्याप्त लाभ दिलाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर निर्धारित किया गया है।
ताकि वे बिचौलियों से बचे रहें और उनकी आमदनी में बढ़ोत्तरी हो सके। छुईखदान विकासखंड के दूरस्थ ग्राम सरईपतेरा में यह मौसम ग्रामवासियों के लिए सौगात की तरह है। पीले रंग के फूल सरई वृक्ष से गिरकर जमीन पर बिखरे हुए हैं। साल वृक्षों की अधिकता के कारण ही इस गांव का नाम सरईपतेरा पड़ गया है।
गांव की श्रीमती जलवती, बिस्ता, ज्योति, रिना, संवरी, राजीम, हिमानी, प्रेमवती, श्रीमती तिजा, राधिका, थामन, पांचोबाई, साहिबिन, सुखवारो, जसवंतिन, भागवती, हेलेंद्री एवं अन्य महिलाएं सरई फूल बीज एकत्रित करने के लिए सुबह से निकल जाती है।
कोविड-19 से बचाव के लिए महिलाएं वनोपज संग्रहण के दौरान मास्क का उपयोग कर रही है। लघुवनोपज संग्रहण उनका प्रिय कार्य है और कार्य करते हुए वे आपस में सुख-दुख भी बांट लेती हैं। गांव में जामुन की अधिकता होने के कारण जामुन संग्रहण का कार्य भी प्रगति पर है।
छुईखदान विकासखंड के दूरस्थ ग्राम ढोलपिट्टा में बैगा जनजाति के परिवार के लिए लघुवनोपज आजीविका का प्रमुख साधन है। बैगा जनजाति के बुजुर्ग श्री कमल मरकाम ने कहा कि वे सुबह से बेल गुदा एवं हर्रा संग्रहण में लग जाते हैं। जिससे उन्हें आमदनी हो रही है और परिवार की अच्छी गुजर-बसर हो जाती है। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को न्यूनतम समर्थन मूल्य में लघुवनोपज खरीदी करने के लिए धन्यवाद दिया।
उनकी पत्नी श्रीमती भगतीन और उनकी नतनी उषा सयाम ने भी खुशी जाहिर की। शासन की ओर से बैगा जनजाति के उत्थान के लिए ग्राम में निरंतर कार्य किए जा रहे हैं। घाटी में ग्राम रेंगाखार के श्री खानू एवं श्री गुलाब खान भी बेलगुदा एकत्रित करने में व्यस्त थे। वहीं बांधाटोला के श्री हरे सिंह और सदाराम धुर्वे हर्रा, बहेरा एकत्रित कर रहे थे। माहुल पत्ता की तोड़ाई में भी अब तेजी आ गई है।
जिससे ग्रामवासी दोना-पत्तल बनाने का कार्य करेंगे। जिले में आंवला बीज, पुवाड़ बीज, कौंच बीज, बायबिडिंग, कालमेघ, नागरमोथा, हर्रा, धवई फूल, बहेड़ा, महुआ फूल, शहद, फूलझाडु, इमली, रंगीन लाख, कुसमी लाख, सालबीज, गम कराया, महुआ बीज, बेल गुदा, करंज बीज, चिरौंजी गुठली और जामुन बीज के संग्रहण का कार्य किया जा रहा है।
दूरस्थ ग्राम सरईपतेरा, ढोलपिट्टा में लघुवनोपज संग्राहक अपना वनोपज शासन की समिति में विक्रय करते हैं। वन विभाग की ओर से लघुवनोपज संग्रहण के लिए वनवासियों को जागरूक किया जा रहा है और उन्हें कोरोना वायरस के बचाव के लिए भी बताया जा रहा है। ग्रामवासियों को कोविड-19 से सुरक्षा के लिए मास्क दिया जा रहा है।