छत्तीसगढ़

सरकार के काम की समुचित समीक्षा के बिना इस बार भी होंगे छत्तीसगढ़ के विधानसभा मतदान

भारत को संसार में लोकतंत्र का स्वर्ग कहा जाता है यहां लोकतांत्रिक माध्यम से सरकार का चयन कर किया जाता रहा है। सरकार का चयन जनता अपने मताधिकार का प्रयोग करके करती है जो कि प्रत्येक 5 वर्ष में एक बार किया जाता है एक बार किया जाता है । प्रत्येक 5 वर्ष में जनता को यह अधिकार इस उद्देश्य के साथ दिया जाता है कि जनता अपने द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के कार्यों की समीक्षा कर सके तथा यदि उसके द्वारा चुने गये प्रतिनिधियों ने अपने पसंद आए तो को उचित ढंग से निर्वाचित नहीं किया है तो जनता उन्हें बदल सके तथा उनके स्थान पर अन्य जनप्रतिनिधियों का चयन जनता कर सके। जनता के द्वारा इस दायित्व का निर्वहन केवल मात्र तभी समुचित ढंग से किया जा सकेगा जब जनता को यह अवगत कराया जाएगा कि उनके द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के अधिकार एवं दायित्व क्या है तथा उक्त अधिकार व दायित्व का लेख किस प्रकार से प्रयोग करते हैं। यदि जनता इस बात से अनभिज्ञ रहती है कि उनके द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि के काम करने की प्रक्रिया क्या है तो निश्चित रूप से वह निर्धारित नहीं कर पाएंगे कि उनके द्वारा चुना गया प्रतिनिधि ने किस प्रकार से कार्य किया है इस प्रकार स्पष्ट है कि लोकतंत्र ऐसी व्यवस्था है जिसमें राजा अर्थात जनता को नौकर अर्थात जनप्रतिनिधियों से अधिक जागरूक और सजग रहने की आवश्यकता है।

आगामी कुछ महीनों में छत्तीसगढ़ राज्य में साधारण चुनाव होने हैं किंतु अभी तक छत्तीसगढ़ की जनता इस बात से अनभिज्ञ है कि उनके द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि के काम करने की प्रक्रिया क्या है जिसके अभाव में यह नहीं निर्धारित किया जा सकता है कि किस जनप्रतिनिधि ने विहित प्रक्रिया का पालन करते हुए अपने पति दायित्वों का निर्वहन किया है इस प्रकार यह बहुत ही स्पष्ट है कि यदि जनता अपने प्रतिनिधियों के कार्य करने के तरीके और उनके कार्य से अवगत होगी तो ही वह एक अच्छी सरकार का चयन कर सकती है अन्यथा निर्वाचन केवल मात्र एक औपचारिकता ही बनकर रह जाएंगे। दुर्भाग्यवश छत्तीसगढ़ के निर्वाचकों को यह अधिकार प्राप्त नहीं है कि वह जान सके कि उनके द्वारा चुनी गई सरकार किस प्रकार से फैसले लेती है क्योंकि छत्तीसगढ़ कार्यपालक सहायक के कार्य नियम गोपनीय है एवं केवल मात्र कार्यालय उपयोग हेतु है जिसकी जानकारी के अभाव में एक साधारण निर्वाचक यह नहीं पता लगा सकता कि एक मंत्री या उसके सचिव को किस प्रकार से शासन-प्रशासन से संबंधित निर्णय लेने हैं एवं कार्य का संचालन करना है

पता भाई यह आकलन करने में भी असमर्थ है कि किस मंत्री ने शासन प्रशासन का संचालन कार्यपालक नियम के अनुसार किया है एवं किसने नहीं किया है हालांकि विभिन्न राज्यों में यह नियम जनसाधारण के लिए खुले हुए हैं किंतु अभी छत्तीसगढ़ में ऐसी व्यवस्था नहीं हो पाई है। हालांकि कार्यपालन शासन के कार्य नियमों को जनसाधारण तक पहुंचाने एवं गोपनीय कार्यपालक शासन कार्य नियम को असंवैधानिक घोषित करने हेतु एक जनहित याचिका छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के अधिवक्ता अखंड प्रताप पांडे ने लगा रखी है किंतु अभी तक उसमें सरकार की ओर से जवाब भी पेश नहीं हुआ है ऐसी स्थिति में सुदूर भविष्य में छत्तीसगढ़ कार्यपालक शासन के कार्य नियम चुनाव के पहले जनता के हाथों में पहुंचने की संभावना बहुत कम है। किंतु यदि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा प्रकरण में कोई अंतरिम राहत प्रदान करते हुए गोपनीय कार्य नियम को सार्वजनिक करने का निर्देश दिया जाता है तो निश्चित रुप से निर्वाचक युक्तियुक्त मूल्यांकन कर मतदान करेंगे।

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