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EXCLUSIVE: शिक्षाकर्मियों के वेतन, पदोन्नति, संविलियन, नियुक्ति के संबंध में अध्ययन करने राजस्थान जाएगी अधिकारियों की टीम, आदेश जारी

शासन को चाहिए कि जल्द ही संविलियन पर निर्णय ले : वीरेंद्र दुबे

रायपुर। शिक्षाकर्मियों की विभिन्न मांगों पर विचार करने के लिए गठित कमेटी ने अब कुछ अधिकारियों को देश के अलग-अलग राज्यों में जाकर वहां की व्यवस्था जानने के लिए भेजने का फैसला लिया है, ताकि शिक्षाकर्मियों की विभिन्न मांगों पर विचार हो सके। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति की बैठक में निर्णय लिया गया है कि शिक्षक पंचायत एवं नगर निगम के वेतन, भत्ते, पदोन्नति, अनुकम्पा, नियुक्ति तथा स्थानांतरण से संंबंधित नियम-कानून का अध्ययन करने टीम राजस्थान जाएगी। जिन अधिकारियों को राजस्थान अध्ययन के लिए भेजा जा रहा है उसमें केसी काबरा, उप-संचालक, टीके साहू उप-संचालक, बीएन मिश्रा उप-संचालक (पंचायत) और आरके जैन सहायक संचालक (पंचायत) शामिल है।

 





ये सभी अधिकारी राजस्थान में जाकर वहां शिक्षा विभाग और शिक्षाकर्मियों के संबंध में बनाए गए नियम कानूनों को बारीकि से निरीक्षण करेंगे और उसके बाद अपनी रिपोर्ट पंचायत एंव ग्रामीण विकास और स्कूल विभाग को सौंपेगे। अधिकारियों को राजस्थान भेजने संबंधिी आदेश स्कूल शिक्षा विभाग के अवर सचिव ईआई कपाले ने जारी किया है। जानकारी के मुताबिक राजस्थान में जब नियुक्ति होती है तो शिक्षाकर्मी पंचायत के कर्मचारी होते हैं, लेकिन तीन साल बाद वे स्वंय ही शिक्षा विभाग में संविलियत हो जाते हैं। इस तरह अन्य राज्यों में भी अलग-अलग नियम है, जिनका अध्ययन किया जाना है।  छत्तीसगढ़ शासन ने शिक्षाकार्मियों के लिए बनाई गई कमिटी का कार्यकाल एक माह के लिए बढ़ा दिया गया है। एक आदेश के अनुसार शासन एक अधिकारियों की टीम गठन किया है जो शिक्षकों की समस्या के निराकरण के लिए राजस्थान मॉडल का अध्ययन करेगा पश्चात रिपोर्ट छत्तीसगढ़ शासन को सौपेंगी। इससे यह प्रतीत हो रहा है कि संमिति का कार्य सही मायने में अभी प्रारम्भ हो रहा है। शिक्षक पंचाचात ननि मोर्चा के संचालक वीरेंद्र दुबे ने कहा है कि जारी आदेश में संविलियन के विषय नही होने पर शिक्षाकर्मी आक्रोशित है, शासन को पूर्व में ही राजस्थान मॉडल, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश में शिक्षकों के संविलियन संबधी आवश्यक तथ्य पहले ही सौंप चुका है। डिजिटल इंडिया के जमाने मे किसी राज्य का भ्रमण करना केवल समय खराब करना है। शासन को चाहिए कि जल्द ही संविलियन पर निर्णय लेना चाहिए।

प्रान्तीय उपसंचालक जितेन्द्र शर्मा का कहना है कि शासन के कार्यो में समय सीमा शब्द की बड़ी कीमत होती है, परन्तु हाईपावर कमेटी होने के बावजूद कमेटी की समयसीमा 3 माह से 4 माह हो गया और अब 5वे महीने के लिए बढ़ा देना समझ से परे है। अब कोई भी जानकारी पलक झपकते मिल जाती है, ऐसे में माह भर का और कार्यकाल बढाना डिजिटल क्रांति के युग का माखौल उड़ाना है। उम्मीद है यह अंतिम बढ़ा हुआ अबधि होग। प्रांतीय उप संचालक धर्मेश शर्मा ने बताया कि प्रदेश के सभी शिक्षको का संविलियन करना ही एक मात्र विकल्प है, शासन को इस पर जल्द ही ठोस निर्णय लेना चाहिए।

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