कोरिया में अब तक रोपे गए 14 हजार मुनगा के पौधे

चंद्रकांत पारगीर, बैकुंठपुर। कोरिया जिले में मिशन सुपोषण के तहत 14 हजार मुनगा के पौधे रोपे जा चुके हैं। महिला बाल विकास विभाग ने मुनगा के सेवन से होने वाले लाभ को देखते हुए इसे आंगनबाड़ी केंद्र, गर्भवती महिलाएँ, कुपोषित बालक के घर के साथ हर कहीं लगाने की मुहिम छेड़ रखी है।
इस संबंध में महिला बाल विकास अधिकारी चंद्रबेस सिंह सिसोदिया का कहना है कि कलेक्टर के निर्देश पर पौधे हमने उद्यान विभाग से लिये और मुनगा के पेड़ की टहनियों से भी इसको लगाया। इस तरह अब तक 14 हजार पौधे लगाए जा चुके हंै। इनकी देखभाल की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। जानकारी के अनुसार जि़ले की महिला बाल विकास विभाग ने आंगनबाड़ी केंद्रों के हितग्राहियों, कुपोषित बच्चों के परिजनों सहित इससे जुड़े लोगों को मुनगा लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके लिए बीते 20 दिन पूर्व इसकी शुरुआत की गई, अब तक 14 हजार मुनगा के पौधों का रोपण किया जा चुका है।
वहीं अभी इसके लगाने का कार्य जारी है। विभागीय अधिकारी और कर्मचारी इसके लाभ को लेकर ग्रामीणों को जागरूक भी कर रहे है। बताया जाता है कि मुनगा की पत्तियां एवं फूल घरेलू उपचार में हर्बल मेडिसिन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके फूलों एवं फलों को सब्जियों के रूप में उपयोग किया जाता है। सहजन का गुदा और बीज सूप, करी और सांभर में इस्तेमाल किया जाता है। मुनगा का सूप इसकी पत्तियों, फूलों, गूदेदार बीजों से बनाया जाता है जोकि बहुत ही पोषण युक्त होता है और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।
मुनगा के पेड़ का कोई एक भाग ही नहीं बल्कि इसका फल, फूल, छाल, पत्तियां और जड़ सभी का उपयोग स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। बीमारियों के इलाज में विशेष रूप से ड्रमस्टिक का इस्तेमाल किया जाता है। भोजन के रूप में उपयोग होने की अपेक्षा दवा के रूप में ड्रमस्टिक का उपयोग सबसे अधिक होता है सहजन के जड़ में उत्कृष्ट पोषक तत्व पाये जाते हैं और इसमें फाइटोकेमिकल कंपाउंड एवं एल्केनॉयड पाया जाता है और एक स्टडी में पाया गया है कि सहजन का जड़ अंडाशय के कैंसर के इलाज में बहुत प्रभावी होता है।
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