छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की संवेदनशील पहल ‘कुपोषण से जंग’ की घोषणा की विदेशों में भी गूंज…नाम्बिबिया के समाचार पत्र में दिखी झलक…

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की जनहितकारी योजनाओं और घोषणाओं की गूंज अब प्रदेश के साथ-साथ देश और विदेश में भी होने लगी है। मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को पूरे छत्तीसगढ़ को 3 साल के भीतर कुपोषण और एनीमिया से मुक्त करने का जो लक्ष्य रखा है, उसका शुरूआती तौर पर ही असर दिखने लगा है।

मुख्यमंत्री की यह प्रदेश में सुर्खियां तो बटोर ही रहा है, वहीं अब छत्तीसगढ़ और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणाओं का असर विदेशी मीडिया में झलक रहा है। मुख्यमंत्री की इस घोषणा को नाम्बिबिया के समाचार पत्र ने प्रमुखता से स्थान दिया है।



वैसे देखा जाए तो कुपोषण की समस्या एक प्रदेश, एक राष्ट्र की ही नहीं, बल्कि यह पूरे विश्व का मामला है। विदेशों में भी कुपोषण से मुक्ति के लिए तरह-तरह के प्रयास किए जाते हैं, लेकिन एक लक्ष्य और एक समय निश्चित कर इससे मुक्ति के जंग की घोषणा नि:संदेह अपने आप में एक बड़ा कदम है।

खासकर, पर छत्तीसगढ़ जैसे एक छोटे और नवनिर्मित राज्य के लिए।आपको बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को विश्व आदिवासी दिवस पर कई बड़ी घोषणाएं की हैं।

इसमें प्रमुख तौर पर उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य पर आगामी 2 अक्टूबर से छत्तीसगढ़ को कुपोषण से मुक्त करने के लिए प्रदेश के सभी आंकाक्षी जिलों में अभियान प्रारंभ करने की घोषणा की है। इस अभियान के तहत कुपोषण और एनीमिया से पीडि़तों को प्रतिदिन नि:शुल्क पौष्टिक भोजन प्रदान किया जाएगा। आगामी 3 साल में छत्तीसगढ़ को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।


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मुख्यमंत्री ने कहा है कि नीति आयोग के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार राज्य में 5 साल से कम उम्र के 37.60 प्रतिशत बच्चे कुपोषण से तथा 15 से 49 वर्ष की 41.50 प्रतिशत बेटियां और माताएं एनीमिया से पीडि़त हैं। कुपोषण एवं एनीमिया के कारण देश में प्रतिवर्ष लाखों बच्चों की मौत हो जाती है, लाखों बच्चे जन्म के समय से ही कम वजन के होते हैं, उनकी ऊंचाई नहीं बढ़ती तथा उनके शारीरिक और मानसिक विकास की प्रक्रिया अवरूद्ध हो जाती है, इस तरह जन्म लेते ही उनकी नियति तय हो जाती है।

इस विकट समस्या के निराकरण के लिए अत्यंत गंभीर प्रयासों की आवश्यकता है।इस कार्यक्रम के तहत ग्राम पंचायतों और महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से प्रत्येक ग्राम पंचायत में कुपोषण एवं एनीमिया पीडि़तों की चिन्हांकित सूची अनुसार उनकी शारीरिक आवश्यकता तथा रूचि अनुरूप प्रतिदिन पौष्टिक भोजन नि:शुल्क दिया जाएगा।

इसके लिए आवश्यक राशि प्रतिमाह उपलब्ध कराई जाएगी। प्रत्येक ग्राम पंचायत में प्रतिदिन भोजन करने वालों का लेखा-जोखा रखा जाएगा।इस अभियान का गांधी जयंती के दिन से क्रियान्वयन आरंभ किया जाएगा। इस संबंध में मुख्य सचिव और जिला कलेक्टरों को पंचायतवार पीडि़तों की सूची, आवश्यक पौष्टिक तत्वों का आंकलन तथा आवश्यक धन राशि का आंकलन आगामी एक माह में करने को कहा गया है।

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