कापी-किताब खरीदने निजी स्कूल नहीं डाल पाएंगे दबाव, सरकार ने कंसा शिकंजा, विरोध में बंद रहे 65 संस्थान

लखनऊ। मनमानी फीस वसूलने को लेकर स्कूलों पर योगी सरकार ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इस खफा निजी स्कूलों ने 7 अप्रैल को 65 निजी और मिशनरी स्कूल बंद रखा। निजी स्कूलों पर बढ़ते सरकारी नियंत्रण, राइट टु एजुकेशन के गलत क्रियान्वयन और स्कूल कर्मियों की ढीली सुरक्षा व्यवस्था के विरोध में अनएडेड प्राइवेट स्कूल असोसिएशन ने निजी स्कूलों को बंद रखने का एलान किया है। वहीं दिल्ली के रामलीला मैदान में कई स्कूली संगठन प्रदर्शन भी करेंगे।
पांच साल बाद ही बदलेगी ड्रेस
इस फैसले के लागू होने के बाद स्कूल अभिभावकों को किसी एक दुकान से कॉपी-किताब या बैग खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगे। पांच साल से पहले स्कूल की ड्रेस नहीं बदली जा सकेगी। फिर भी अगर बेहद जरूरी है तो इसका फैसला मंडलायुक्त करेंगे।
स्कूलों को देनी होगी आय की जानकारी
स्कूलों में व्यवसायिक गतिविधियां, जैसे गेस्ट हाउस, दुकानें चला रहे स्कूलों पर नियंत्रण किया जायेगा। साथ ही स्कूल को होने वाली आय की जानकारी देनी होगी और उसका इस्तेमाल स्कूल के लिए करना होगा, छात्रों की फीस कम करने के लिए और टीचर्स के वेतन के लिए करना होगा. आय को स्कूलों के अकांउट में दिखाना पड़ेगा।
उल्लंघन तो मान्यता रद्द
राज्य में मंडल स्तर पर शुल्क नियामक समिति बनेगी। अगर कोई भी स्कूल नियम नहीं मानता है तो पहली बार 1 लाख, दूसरी बार 5 लाख और तीसरी बार नियम नहीं मानने पर मान्यता रद्द कर दी जाएगी।
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