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आखिर क्यों नहीं खुलती खिलाडिय़ों के लिए सरकारी तिजोरियां, इस खबर को पढ़कर शायद आप भी यही कहेंगे…

हर देश और राज्य चाहता है कि उसके खिलाड़ी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें, पर सरकारी तिजोरियां खिलाडिय़ों के लिए प्राय: खाली ही रहती हैं। तभी तो हॉकी टीम में चयन के लिए ट्रायल देने मध्यप्रदेश के दमोह पहुंची बच्चियों को 5 रुपए की थाली से पेट भरना पड़ा। इतना ही नहीं प्रबंधकों ने इन खिलाडिय़ों के लिए पीने का पानी का इंतजाम तो करवाया था, पर आप जानते हैं वो इंतजाम कैसा था… वो था मैदान में खड़ा एक टैंकर, जो भीषण गर्मी में शायद उतना ही गर्म हो गया था। अब हमारी बच्चियां 5 रुपए वाला खाना और गर्म पानी पीकर कैसे बड़े-बड़े टूर्नामेंट में सलेक्ट होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक मध्यप्रदेश के दमोह के जेपीबी गर्ल्स स्कूल के मैदान में 42 बच्चियां हॉकी के लिए ट्रॉयल देने आई थीं। इनमें से 18 राष्ट्रीय खेलों में मध्यप्रदेश की हॉकी टीम की नुमाइंदगी करेंगी।

बताया जा रहा है कि इन खिलाडिय़ों के रहने के लिये गल्र्स स्कूल के हॉस्टल में इंतजाम किया गया था, लेकिन खाने के लिये इनके कोच को गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिये दीनदयाल रसोई से 5 रुपये वाली थाली की पर्ची कटवाने पड़ी। कोच भी क्या करता, वह ऐसी व्यवस्था के आगे नतमस्तक था, क्योंकि ट्रायल में खिलाडिय़ों के भोजन का कोई बजट नहीं होता है। ये भी हैरानी की बात है कि दस साल पहले राज्य सरकार ने ट्रायल में खिलाडिय़ों के खाने-पीने के लिये बजट का प्रावधान बंद कर दिया था। इस पर राज्य की बीजेपी सरकार को लगता है कि 5 रुपये की थाली में गुणवत्ता की कमी नहीं होती, तो वहीं कांग्रेस इसे खिलाडिय़ों का अपमान मानती है।

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