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शबे बारात आज… मस्जिद नहीं, घरों में ही पढ़ी जाएंगी सभी विशेष नमाजें… शहर काजी की अपील – सतर्कता बरतें…

अफजल यानी खास रातों में जरूरतमंदों के लिए शामिल शबे बारात शनिवार की शाम गुजरने के बाद आएगी। कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए समाज के लोग घरों में ही सभी विशेष नमाजें अदा करेंगे। मरहूमों को भी घरों में रहकर ही याद किया जाएगा।

शहर काजी ने समाज के लोगों से अपील की है कि वे रात को घरों में रहकर ही इबादत करें। अपने मरहूमों के नाम से घरों में ही फातिहा दिलाएं। अभी कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा है इसलिए कब्रिस्तान न जाएं। राजधानी के सभी कब्रिस्तानों में वक्फ बोर्ड की ओर से गुलाब जल और फूल पेश किए जाएंगे। इसके लिए एक टीम कब्रिस्तानों में जाएगी।

शबे बारात में मगरिब की नमाज के बाद 6 रकात विशेष नमाज पढ़ी जाती है। रिवायतों के आया है कि इसी आने वाले एक साल के घटनाक्रम तय होते हैं। यानी जिसके साथ एक साल में जो होना है, सभी इसी रात लिखा जाता है। इसी वजह से 6 रकात की विशेष नमाज में लोग अपनी उम्र, और खैरोबरकत के अलावा आफत व मुसीबत से बचने के लिए दुआएं मांगते हैं। इस रात मरहूमों की रुहें यानी उनकी आत्मा घर आती हैं।

इस वजह से लोग कब्रिस्तानों में रोशनी करने के साथ-साथ फूल पेश कर दुआएं मांगते हैं। इस वजह से हर साल शबे बारात में रातभर बड़ी संख्या में लोग घरों से बाहर दिखाई देते थे। अभी लॉकडाउन और धारा 144 लागू होने की वजह से लोग घरों से नहीं निकल पाएंगे।

एहतियात बरतें: शहर काजी
शहर काजी मोहम्मद अली फारूकी ने कहा है कि शब-ए-बरात को मस्जिद, कब्रिस्तान जाने में एहतियात बरतें। अपने घर पर ही रहकर फातेहा व इसाले सवाब किया जा सकता है। शब-ए-बरात पर बाद नमाज ए मगरिब छह रकात नमाज नफील पढ़ी जाती है। यह नफील नमाज है, इस वजह से घर पर ही अदा की जा सकती है। छह रकात में दो रोजी में बरकत, दो उम्र की दराजी और दो दाफ ए बला के लिए पढ़ी जाती है। उसे घर पर पढ़ें और सूरह यासीन की तिलावत खुद करें।

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