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आइसक्रीम खरीदते वक्त डिब्बे या पैकेट पर जरूर देखें यह कोड, असली-नकली का चल जाएगा पता

सरकार सामान की शुद्धता के लिए कई उपाय करती है. प्रोडक्ट पर मुहर लगाई जाती है. यहां तक कि आईएसआई मार्का भी लगाया जाता है. ऐसे में ग्राहकों की जिम्मेदारी बनती है कि वे कोई भी सामान खरीदते वक्त सरकारी मुहर पर गौर करें. अगर खाद्य पदार्थ है तो उस पर FSSAI की निशानी होगी. इससे फूड स्टैंडर्ड का पता चलता है. ऐसे ही जब आप आइसक्रीम खरीदने चलते हैं तो उसके डिब्बे या पैकेट पर IS का टैग लगा होता है जिससे प्रोडक्ट के असली या नकली होने का पता चल जाता है.

Consumers Affairs का एक ट्वीट बताता है कि जब आइसक्रीम खरीदें तो किन बातों का ध्यान रखें ताकि एक उपभोक्ता के नाते आपके अधिकारों की रक्षा हो सके. उपभोक्ता के नाते आप पैसे खर्च करने के बाद भी जालसाजी के शिकार न हों. कंज्यूमर्स एफेयर्स बताता है कि जब भी आप आइसक्रीम खरीदें तो उस पर IS 2802 मार्क को कंफर्म कर लें. डिब्बे या पैकेट पर जरूर देखें कि यह नंबर लिखा है या नहीं.

यह कोड आइसक्रीम कंपनियों को ब्यूरो ऑफ सर्टिफिकेशन की तरफ से दिया जाता है. इस कोड की मौजूदगी से पता चलता है कि प्रोडक्ट शुद्ध है और सेहत पर उसका कोई विपरीत असर नहीं होगा. दरअसल, IS 2802 का मार्क फूड और एग्रीकल्चर से जुड़े प्रोडक्ट को दिया जाता है और इसका सेक्शन डेयरी प्रोडक्ट और इक्विपमेंट में आता है. इसी के तहत आइसक्रीम भी आती है जिसे बीआईएस की तरफ से यह कोड दिया जाता है.

आइसक्रीम के अलग-अलग प्रकार
FSSAI ने अलग-अलग तरह की आइसक्रीम और उनकी क्वालिटी तय की है. इसके लिए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड रेगुलेशन 2011 एक्ट पास किया गया है. इसके तहत अलग-अलग आइसक्रीम जैसे कि प्लेन, चॉकलेट, फ्रूट, नट, मिल्क आइसक्रिम, शर्बेट्स, फैंसी, मोल्डेड, नोवेल्टिज, सॉफ्टी जैसी आइसक्रीम की रेंज बताई गई है. यह क्वालिटी कलर और फ्लेलर के अमाउंट पर निर्भर करती है और इसी आधार पर आइसक्रीम के तरह-तरह के प्रकार बताए गए हैं.

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