राजधानी के सबसे विवादित और चर्चित निर्माण यानी स्काईवाॅक के उपयोग को लेकर सरकार की तरफ से बनाई गई सत्यनारायण शर्मा कमेटी ने अपने सुझाव और अनुशंसा के साथ रिपोर्ट सोमवार को सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्काईवाॅक के ढांचे में अब तक 50 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं, इसलिए इसे नही तोड़ा जाना चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस ढांचे के उपयोग के विकल्प हैं।
इसका विस्तार तथा जरूरी मापदंड पूरा करके इसे शहर में मेट्रो ट्रेन योजना में शामिल कर लेना चाहिए। इसका कुछ हिस्सा कार्पोरेट कंपनियों को बैठकें तथा कामर्शियल उपयोग के हिसाब से दिया जा सकता है। स्काईवाॅक का प्रोजेक्ट 75 करोड़ रुपए का है और इसका काम पिछली सरकार ने चालू करवाया था। अक्टूबर 2018 यानी चुनाव से पहले तक इसके निर्माण में 50 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। उस समय विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने स्काईवाॅक को अनुपयोगी करार देते हुए इसके औचित्य पर सवाल उठाए थे और आक्रामक तरीके से इसका विरोध किया गया था।
यही वजह है कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होते ही कांग्रेस की भूपेश सरकार ने स्काईवाॅक के निर्माण पर ही रोक लगा दी थी। यही नहीं, इस ढांचे को तोड़ा जाए या दूसरा इस्तेमाल किया जाए, इस पर विचार के लिए वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी। इसी कमेटी ने करीब 2 साल के अध्ययन के बाद अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी है। कमेटी के प्रमुख शर्मा ने भास्कर से कहा कि हमारी कमेटी ने मंथन के बाद अनुशंसाएं सरकार को भेज दी है। अब निर्णय सरकार को करना है।
कामर्शियल उपयोग पर फोकस
समिति की रिपोर्ट में सदस्यों के हवाले से यह बात कही गई है कि अधिकांश सदस्य स्काईवॉक को तोड़ने के पक्ष में नहीं हैं। इसका कारण यह बताया गया कि इस निर्माण में जनता का पैसा खर्च हुआ है। इसे तोड़ा गया तो यह अपव्यय होगा।
यही नहीं, फिजूलखर्ची को विकल्प मुद्दा बना सकता है, क्योंकि भाजपा के कार्यकाल में कांग्रेस ने भी फिजूलखर्ची को ही मुद्दा बनाते हुए स्काईवाॅक के मामले में सरकार को घेरा था। रिपोर्ट में कमेटी में शामिल विशेषज्ञों के सुझाव के हवाले से कहा गया कि इसका कामर्शियल उपयोग बेहतर रहेगा। इसे कार्पोरेट मीटिंग जोन अथवा दूसरी कामर्शियल गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
2 समितियां, 2 साल मंथन
स्काईवाॅक पर विचार के लिए सरकार ने 21 अगस्त 2019 को दो समितियों का गठन किया था। पहली समिति सत्यनारायण शर्मा की अध्यक्षता में बनाई गई। इसमें विधायक कुलदीप जुनेजा, विधायक विकास उपाध्याय, तत्कालीन महापौर प्रमोद दुबे के अलावा प्रदेश के कई वरिष्ठ इंजीनियर और तकनीशियन सदस्य बनाए गए।
समिति ने न केवल आधा दर्जन बैठकों में विचार किया, बल्कि तकनीकी विशेषज्ञों से पाॅवर पाइंट प्लान भी मंगवाए और उन्हें देखा। यही नहीं, स्काईवाॅक जहां से शुरू हुआ, वहां से दूसरे सिरे तक पैदल निरीक्षण किया तथा कामर्शियल उपयोग पर लोगों से राय ली। इसी आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है।
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