सोने के गहनों की खरीदारी में अब धोखाधड़ी की गुंजाइश नहीं होगी, क्योंकि अब देश में BIS यानी भारतीय मानक ब्यूरो की हॉलमार्किंग के ही आभूषण बिकेंगे. एक जून से हॉलमार्किंग के नियम लागू होने वाले हैं. हालांकि बंबई हाईकोर्ट के नागपुर बेंच ने इस बारे में 7 मई को एक अंतरिम आदेश पारित किया है, जिसके मुताबिक 14 जून तक इसका पालन नहीं करने पर ज्वेलर्स को जुर्माना या सजा नहीं होगी.
इसकी तैयारियों को लेकर थोड़ी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. एक वर्ग यह मानकर चल रहा है कि एक जून से ये नियम लागू हो जाएंगे, वहीं ज्वेलर्स संघों का मानना है कि इसमें सरकार को अभी ढील देनी चाहिए और इसकी डेडलाइन बढ़ानी चाहिए. बहरहाल अगर ये नियम एक जून से लागू हो जाते हैं तो सोने के आभूषण की खरीद-बिक्री पर क्या-क्या असर पड़ेगा? आपको क्या फायदे होंगे… ज्वेलर्स पर क्या असर पड़ेगा… ऐसे तमाम सवालों के बारे में जानने की कोशिश करते हैं.
हॉलमार्किंग का क्या मतलब होता है?
दरअसल, हॉलमार्किंग ज्वेलरी की शुद्धता का प्रमाण होता है. इससे पता चलता है कि ज्वेलरी में सोना या अन्य मेटल किस मात्रा में इस्तेमाल किया गया है. हॉलमार्किंग वाली ज्वेलरी पर BIS चिह्न होता है. अगर आपकी ज्वेलरी पर BIS का निशान है तो इसका मतलब हुआ कि उसकी शुद्धता प्रमाणित है. यह ग्राहकों को ठगी से बचाता है और यह सुनिश्चित करता है कि उनतक शुद्ध आभूषण पहुंचे.
क्या 1 जून से देशभर में हॉलमार्किंग अनिवार्य होने जा रहा है?
इंडियन एसोसिएशन ऑफ हॉलमार्किंग सेंटर के प्रेसिडेंट उदय शिंदे ने एक टीवी कार्यक्रम में बताया कि एक जून की तारीख तय की गई. इसमें बदलाव को लेकर कोई अपडेट नहीं है. कानून के रूप में आ रहा है तो पूरे देश में एक ही दिन, एक ही समय, एक साथ इसे लागू किया जाना है.
क्या ज्वेलर्स इसके लिए पूरी तरह से तैयार हैं?
ऑल इंडिया जेम एंड ज्वेलरी डोमेस्टिक काउंसिल के प्रेसिडेंट आशीष पेठे का कहना है कि हमारे ज्वेलर्स मानसिक रूप से तो तैयार हैं, लेकिन कानून लागू करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर या मूलभूत सुविधाओं की जरूरत है, वो उपलब्ध नहीं है. 67 फीसदी जिलों में हॉलमार्क सेंटर नहीं है, तो ज्वेलर्स कैसे हॉलमार्क लेगा. यही बात BIS से कही गई है. अगर 1 जून से इसी प्रारूप में लागू हो जाता है तो लाखों ज्वेलर्स के सामने रोजी-रोटी, कारोबार का संकट हो जाएगा.
इस नियम के लागू होने से क्या फायदे होंगे?
हॉलमार्किंग अनिवार्य होने पर सिर्फ 22 कैरेट, 18 कैरेट, 14 कैरेट की ज्वेलरी बिकेगी. इससे धोखाधड़ी की शिकायतें खत्म हो जाएंगी. हॉलमार्किंग में BIS की मुहर और कैरेट की जानकारी होगी. गोल्ड मार्केट में पारदर्शिता बढ़ जाएगी. ज्वेलरी कब बनी है, ज्वेलर का नाम क्या है.. वगैरह उसपर दर्ज होगा. BIS हॉलमार्किंग सिस्टम को इंटरनेशन मानदंडों से जोड़ा गया है.
आपके पास जो पुराने गहने हैं, उनका क्या होगा?
घर में रखे पुराने गहनों की भी आप हॉलमार्किंग करा सकते हैं. इसके लिए किसी भी हॉलमार्क सेंटर पर जा सकते हैं. हालांकि पुराने गहनों की हॉलमार्किंग की फीस थोड़ी ज्यादा होगी. बिना हॉलमार्किंग वाले गहनों को बेचने जाएंगे तो उसकी बाजार में कीमत सही नहीं लगाई जाएगी.
गड़बड़ी किए जाने पर क्या कार्रवाई हो सकती है?
सोने की ज्चेलरी में हॉलमार्किंग संबंधी गड़बड़ी करने पर 1 लाख रुपये से लेकर ज्वेलरी के दाम के 5 गुना तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है. धोखाधड़ी पर जुर्माना के साथ 1 साल तक की जेल भी हो सकती है. इसकी जांच के लिए सरकार ने BIS-Care के नाम App भी लॉन्च की है. App पर शुद्धता की जांच के साथ शिकायत की भी सुविधा मौजूद है। हॉलमार्किंग से संबंधित गलत जानकारी पर कर शिकायत सकते हैं।
इस फैसले पर CAIT का क्या रुख है?
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को चिट्ठी लिखकर इसकी डेडलाइन बढ़ाने की मांग की है. CAIT का कहना है कि 1 जून से नियम लागू होने से ज्वेलर्स को काफी नुकसान होगा. देश में अब भी पर्याप्त हॉलमार्किंग सेंटर नहीं है. देश के 11 राज्यों में एक भी हॉलमार्किंग सेंटर नहीं है. BIS को तुरंत हॉलमार्किंग सेंटर खोले जाने का निर्देश देने की मांग की गई है. ऐसा नहीं हुआ तो 1 जून से छोटे व्यापारियों को कारोबार बंद करना पड़ सकता है. सरकार का कदम सकारात्मक है लेकिन जल्दबाजी से नुकसान उठाना पड़ सकता है.
सरकार नहीं मानती है तो क्या करेंगे ज्वेलर्स?
GJC के चेयरमैन आशीष पेठे का कहना है कि बंबई हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने हमें 14 जून तक की राहत दी है. इस मामले में ऑल इंडिया जेम एंड ज्वैलरी डॉमेस्टिक काउंसिल (GJC) ने कोर्ट में रिट पिटीशन दायर की थी. GJC, ज्वैलर्स के प्रमोशन, प्रोटेक्शन और उन्नति को सुनिश्चित करती है. अब 14 जून को अगली सुनवाई होनी है. अगर सरकार राहत नहीं देती है तो बहुत से संगठन रिट दायर करने की तैयारी में हैं. कम से कम छोटे और मध्यम ज्वेलर्स को राहत दी जानी चाहिए.
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