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धूम्रपान करने, शाकाहारी भोजन और ‘O’ ब्लड ग्रुप वालों से दूर रहता है कोरोना वायरस… देखें क्या कहती है CSIR रिपोर्ट…

नई दिल्ली. देश में कोरोना वायरस संक्रमण से हर ओर हाहाकार की स्थिति है. महाराष्‍ट्र, दिल्‍ली और यूपी समेत हर राज्‍य में रोजाना बड़ी संख्‍या में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. इसके साथ ही अधिक संख्‍या में लोगों की मौत भी हो रही है.

इस बीच हाल ही में काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने अध्‍ययन की रिपोर्ट जारी की है, जिसमें दावा किया गया है कि धूम्रपान या स्‍मोकिंग करने वालों, शाकाहारियों और ब्‍लड ग्रुप ‘ओ’ वाले लोगों में कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा कम होता है.

सीएसआईआर की ओर उसके करीब 40 संस्थानों में किए गए सीरो सर्वे के अनुसार धूम्रपान करने वालों और शाकाहारियों में कम सीरो पॉजिटिविटी पाई गई है, जो यह दर्शाता है कि उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित होने का कम जोखिम हो सकता है.

इस सर्वेक्षण में पाया गया कि रक्त समूह ‘ओ’ वाले लोग संक्रमण के प्रति कम संवेदनशील हो सकते हैं, जबकि ‘बी’ और ‘एबी’ रक्त समूह वाले लोग अधिक जोखिम में हो सकते हैं. बता दें कि सीरो पॉजिटिविटी का मतलब होता है रक्त जांच में रोग प्रतिरोधक के लिए सकारात्मक परिणाम.

सीएसआईआर ने कोरोना वायरस के प्रति एंटीबॉडी की मौजूदगी का आकलन करने के लिए अपनी प्रयोगशालाओं या संस्थानों में काम करने वाले 10,427 युवाओं और उनके परिवार के सदस्यों के स्वैच्छिक आधार पर नमूने लिए.सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB)द्वारा संचालित अध्ययन में कहा गया है कि 10,427 व्यक्तियों में से 1,058 (10.14 फीसदी) में एसएआरएस-सीओवी -2 वायरस के प्रति एंटीबॉडी थी.

आईजीआईबी में वरिष्ठ वैज्ञानिक व अध्ययन के सह-लेखक शांतनु सेनगुप्ता ने कहा कि नमूनों में से 346 सीरो पॉजिटिव व्यक्तियों की तीन महीने के बाद की गई जांच में पता चला कि उनमें एसएआरएस-सीओवी -2 के प्रति एंटीबॉडी स्तर स्थिर से लेकर अधिक था लेकिन वायरस को बेअसर करने के लिए प्लाज्मा गतिविधि में गिरावट देखी गई.

उन्होंने कहा कि 35 व्यक्तियों की छह महीने में दोबारा नमूने लिए जाने पर एंटीबॉडी के स्तर में तीन महीने की तुलना में गिरावट जबकि बेअसर करने वाली एंटीबॉडी का स्तर स्थिर देखा गया. हालांकि सामान्य एंटीबॉडी के साथ ही बेअसर करने वाला एंटीबॉडी का स्तर जरूरत से अधिक था.

अध्ययन में कहा गया है कि हमारा निष्कर्ष है कि धूम्रपान करने वालों के सीरो पॉजिटिव होने की संभावना कम है, सामान्य आबादी से पहली रिपोर्ट है और इसका सबूत है कि कोविड​​-19 के श्वसन संबंधी बीमारी होने के बावजूद धूम्रपान बचावकारी हो सकता है.

इस अध्ययन में फ्रांस से दो अध्ययनों और इटली, न्यूयॉर्क और चीन से इसी तरह की रिपोर्टों का हवाला दिया गया है जिसमें धूम्रपान करने वालों के बीच संक्रमण की दर कम बताई गई थी. बता दें कि अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने भी हाल ही में शोध में दावा किया था कि उसने अमेरिका में 7000 कोरोना पॉजिटिव लोगों पर अध्‍ययन किया है.

इसमें से महज 1.3 फीसदी ही लोग सिगरेट पीने वाले निकले. वहीं यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने भी ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और अमेरिका के करीब 28 शोध पत्रों का अध्‍ययन किया है. इसमें उन्‍होंने दावा किया है कि अस्‍पताल में भर्ती कोरोना संक्रमितों में सिगरेट पीने वाले लोगों की संख्‍या बेहद कम है.

वहीं दूसरी ओर सीएसआईआर की ओर से पूरे भारत में किए गए सर्वेक्षण वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यह महज अवलोकन है और इसमें अधिक अनुसंधान की जरूरत है. जीनोमिक्स एवं इंटीग्रेटेड बायोलॉजी के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् के निदेशक और सर्वेक्षण के लेखक अनुराग अग्रवाल ने कहा कि धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए खराब है. शाकाहार, धूम्रपान और कम कोविड-19 सीरो पॉजिटिविटी के बीच संबंध का महज जिक्र किया जाता है.

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